विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां व सामाजिक राजनीतिक संगठनों ने भिक्यासैण में बैठक कर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का लिया फैसला।

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रोशनी पाण्डेय — सह सम्पादक

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां व सामाजिक राजनीतिक संगठनों ने एकजुट होने व सशक्त राजनीतिक हस्तक्षेप करने की जरूरत बताते हुए 25 दिसंबर को भिक्यासैण में बैठक कर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। राज्य की राजनीति में प्रभावी हस्तक्षेप के लिए उत्तराखण्ड की आंदोलनकारी ताक़तों व क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियों को एक मंच पर लाये जाने के लिए आयोजित मंथन कार्यक्रम में सभी ने एकजुटता की जरूरत बताई। मंगलवार को उपपा के प्रभात ध्यानी के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने राज्य की समस्याओं के समाधान तलाशने की कोशिश की। चारु तिवारी ने बदहाल उत्तराखण्ड का खाका खींचते हुए कहा कि जो सुविधाएं पहले से ही मिली थी, उन्हें भी खत्म करके भाजपा-कांग्रेस ने राज्यवासियों का पहाड़ में जीना दूभर कर दिया है। शिक्षा के कई संस्थान इस बात का उदाहरण हैं। तिवारी ने सभी को अहम छोड़कर एक मंच पर आने की जरूरत भी बताई। लोकवाहिनी के राजीवलोचन शाह ने राज्य की आंदोलनकारी शक्तियों के उभार के समय वोट की राजनीति में हिस्सा न लेकर प्रभावशाली हस्तक्षेप को बड़ी गलती बताते हुए कहा कि अब इस खाली पड़े स्पेस को तकनीक का लाभ उठाकर दिल्ली की एक नई पार्टी पार्टी भरने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सहभागितापूर्ण राजनीति की वकालत करते हुए वाम दलों के साथ मिलकर कुछ चुनिंदा सीटों पर चुनावी हस्तक्षेप कर भविष्य की बड़ी लड़ाई की तैयारी पर जोर दिया। उपपा अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि हमने अपने अहम के कारण किसी दूसरे को कोई स्पेस देने की पहल नहीं की। उन्होंने आत्मचिंतन करते हुए कहा कि हमारे पास अपने सड़क के संघर्ष को राजनैतिक आंदोलन बनाकर राज्य को दिशा देने का अवसर था, लेकिन हमें ईमानदारी से स्वीकारना होगा कि हम इसमें चूक गए हैं। उन्होंने व्यक्तिगत अहंकार छोड़कर नई शुरुआत का भी सुझाव दिया। उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने चुनाव की पूर्व संध्या पर हो रहे इस आयोजन को देर से होना बताते हुए कहा इगोईस्ट और नॉनकोआपरेटिव होना हमारी मुख्य कमी रही। हमने जनता को कहा सब कुछ, लेकिन जनता की नहीं सुनी। हमारे लोग आपस के आदमी की बात सहन नहीं करते। जबकि राष्ट्रीय दलों के लोग राज्य के बाहर अपने आलाकमान की बात भी आंख मूंदकर सुनते हैं। हमारे त्याग व जनान्दोलन की लंबी विरासत है। अपनी गलतियों का आत्मचिंतन कर भविष्य की राजनैतिक यात्रा पर चिंतन किया जाए। भुवन जोशी ने वाम दलों को बाहर रखते हुए मूल उत्तराखण्डी विचार रखने वाले संगठनों व दलों के साथ मोर्चा बनाये जाने की वकालत की। कार्यक्रम में इस संवाद को विस्तार देते हुए 25 दिसम्बर को भिकियासैंण में संगठनों व दलों के प्रतिनिधियों की एक बैठक करने का निर्णय लिया गया। जिसमें चुनाव पूर्व फौरी तौर पर कोई रणनीति बनाकर चुनाव में जाने व चुनाव के तत्काल बात भविष्य की बड़ी और निर्णायक लड़ाई की तैयारी पर सहमति बनी। कार्यक्रम को विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों सुशील भट्ट, रोहित, धनेश्वरी घिल्डियालके एल आर्य, डी के जोशी, तुला सिंह तड़ियाल , पान सिंह सिजवाली, कमल पंत ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर इंद्र सिंह मनराल, मनमोहन अग्रवाल सुमित्रा बिष्ट, प्रकाश जोशी, प्रकाश उनियाल, अमीनुर रहमान, लालमणि,गोपाल राम ,विनोद पांडे, महेश जोशी, जगदीश, कुलदीप मनोज मधुबन मधवाल।

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