लकड़ी माफियाओं के हौसले बुलंद जंगलो का कर रहे है सफाया, वही इस माम्नले में वन निगम और वन विभाग कर रहा है अलग अलग बयानबाजी, वन निगम छुपा रहा है वास्तविकता।

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संवाददाता- सलीम अहमद साहिल

 

 

 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही बार बार अधिकारियों को भृष्टाचार मुक्त कार्य करवाने के निर्देश देते हो लेकिन धामी के निर्देशो की धज्जियां उनके ही अधिकारी जमकर उड़ा रहे हैं। लेकिन ऐसे अधिकारियों पर कोई कार्यवाही भी अब तक नही होती दिख रही हैं। और जंगलों के लुटेरों के साथ वन निगम मिलकर अवैध रूप से जंगलों को कटवाते हुए दिखाई दे रहा है दरअसल तराई पश्चिम डिवीजन की रामनगर रेंज में वन निगम को यूके लिप्टिस की लौट कटवाने टेंडर मिला था। उस टेंडर की आड़ में वन निगम और लकड़ी माफियाओं की दोस्ती ने जमकर धमाल मचा रखा है अवैध रूप से रातों-रात पेड़ काटे जा रहे हैं। ऐसा हम नहीं बोल रहे है वन विभाग और वन निगम के दो अलग अलग अधिकारियों के बयान ही लकड़ी माफियाओं की दोस्ती को दर्शा रहे हैं।

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59 यूकेलिप्टस के अवैध कटान के मामले में वन विभाग के अधिकारी मामले की वास्तविकता को निष्पक्ष रूप से बता रहे हैं तो वही वन निगम के जिम्मेदार अधिकारी मामले में गोलमोल जबाब में आधी अधूरी जानकारी देकर लकड़ी तस्करों से अपने मधुर सम्बन्धो को निभाने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। वन विभाग माफियाओं द्वारा अवैध रूप से काटे गए 59 यूकेलिप्टस के पेड़ों की सूचना पर मौके पर गया। जिस विभाग के ऊपर माफियाओं ने जानलेवा हमला भी किया वन विभाग के कर्मचारी गम्भीर घायल भी हुये गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुई बाजपुर कोतवाली में दी गई तहरीर वन विभाग के साथ हुई घटना की बानगी बया करने के लिए काफी हैं। लेकिन वन निगम के अधिकारी वन विभाग को ही झुटा बना कर अपने लकड़ी माफ़िया मित्रो को बचाने में कोई कसर नही छोड़ना चाहता हैं। जबकि वास्तविकता ये हैं कि वन निगम जिम्मेदार अधिकारियों ने अब तक घटना स्थल का मौका मुआयना तक करने की जहमत नही हुई हैं ऐसे लापरवाह अधिकारीयो पर धामी अपनी कार्यवाही का हण्टर कब चलाये ये तो आने वाला वक्त ही बताया।

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:वन विभाग के रेंजर देवेन्द्र सिंह रजवार को तो आप खुद सुन चुके हैं। तो आप सुनिए दफ्तर में बैठकर घटना स्थल का मुआयना करने वाले वन निगम के अधिकारियों का बयान और कैसे माफियाओं की गिनती में कमी कर रहे हैं और अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की संख्या को कम बता कर माफियाओं से दोस्ती निभाने का अनोखा अंदाज़ वन विभाग के अधिकारियों के बयान के बाद आप वन माफियाओं ओर वन निगम की दोस्ती का अनुमान आप खुद लगा लीजिए।

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दोनों विभागों के अधिकारियों के बयानों से आप खुद अनुमान लगा लीजिए कि कौन माफियाओं के साथ है और कौन माफियाओं के खिलाफ, और सिस्टम में बैठे ऐसे अधिकारियों के चलते प्रदेश कैसे भ्रष्टाचार मुक्त होगा। और ऐसे में सवाल उठना भी लाजमी है कि जब रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं तो जंगलों की सुरक्षा कौन करेगा ओर आखिर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कब धामी सरकार का बड़ा एक्शन कब होगा।

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