जंगली जानवरों से इंसानों, मवेशियों व फसलों की सुरक्षा करने में सरकार नाकाम।

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जंगली जानवरों से इंसानों, मवेशियों व फसलों की सुरक्षा करने में सरकार नाकाम।

 

 उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

जैसा कि आपको विदित है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के चारों तरफ जंगली जानवरों का आतंक बढ़ता जा रहा है
जिसमें से बाघ और तेंदुआ प्रमुख है जो जनहानि  के मुख्य कारण बनते जा रहे हैं  जिनके भय से ग्रामीण इलाके ही नहीं बल्कि नगर के लोग भी असुरक्षित हैं ।

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1. जंगली जानवर द्वारा किसी भी व्यक्ति को घायल किए जाने पर उसके समूचे इलाज एवं प्राइवेट अस्पताल के बिल भुगतान की जिम्मेदारी कॉर्बेट प्रशासन / उत्तराखंड सरकार द्वारा उठायीं  जाए । वर्ष 2006 में मुख्य सचिव और संघर्ष समिति रामनगर के मध्य हुए समझौते को लागू  किया जाए।

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2. जंगली जानवरों द्वारा फसलों व मवेशियों के नुकसान पर रोक लगाई जाए व नुकसान होने पर बाजार की दरों के अनुरूप किसानों एवं ग्रामीणों को तत्काल मुआवजे का भुगतान किया जाए ।

3. किसी भी जंगली जानवर के हिंसक / आदमखोर हो जाने पर उसे मारने का अधिकार गांव वालों को दिया जाए।

4. जंगली जानवरों के हमले में मृत्यु होने पर मृत्यु परिवार के आश्रितों  को मुआवजे की राशि 6 लख रुपए से बढ़कर 25 लख की जाए l

5. कंडी मार्ग (रामनगर कालागढ़ कोटद्वार रोड मार्ग) जो काफी समय से बंद पड़ा हुआ है उसे आम यातायात के लिए खोला जाए ।

6. प्रदेश में बंदरों का आतंक अत्यधिक बढ़ चुका है अतः बंदरों को तत्काल हटाया जाए ।

7. ग्राम पटरानी में सोलर लाइटिंग का फेंसिंग लगाई जाए तथा बच्चों को स्कूल जाने हेतु बस लगाई जाए ।

उपरोक्त  बिंदुओं पर अगर सरकार ने प्रभावी कदम नहीं उठाए तो प्रदेश वासियों का गुस्सा दिनों दिन बढ़ता जाएगा जिससे एक बडे आंदोलन की आहट पैदा हो सकती है  रावत ने कहा कि आज  पहाड़ में ही नहीं बल्कि तराई में भी जंगली जानवरों का आतंक है, शासन प्रशासन को त्वरित गति से इस ओर  कार्य करना चाहिए ताकि  प्रदेश की जनता भय मुक्त  रह सके l