वन दरोगा को रिश्वत लेने के मामले में तीन साल और 25 हजार रुपये के जुर्माना की सजा।

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वन दरोगा को रिश्वत लेने के मामले में तीन साल और 25 हजार रुपये के जुर्माना की सजा।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

तराई पश्चिमी वन प्रभाग रामनगर की गुलजारपुर चौकी के तत्कालीन वन दरोगा शैलेंद्र कुमार चौहान को भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने रिश्वत लेने के मामले में दोषी ठहराया है। अदालत ने बुधवार को उसे तीन साल के कठोर कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

 

 

 

वर्ष 2019 में पकड़े गए एक डंपर को छोड़ने के बदले वन दरोगा ने एक लाख रुपये की रिश्वत ली थी। ऊधमसिंह नगर के काशीपुर निवासी फईम अहमद ने एक अप्रैल 2019 को सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) कार्यालय हल्द्वानी में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। फईम के साथ ही नफीस अहमद और नियाज अली डंपर चलाते थे और कोसी नदी से रेता ढोने का काम करते थे। सात मार्च को उनका डंपर बंजारी गेट, रामनगर से टोकन कटवाकर कोसी नदी में गया था, जहां रेंजर आरके वर्मा और गुलजारपुर चौकी प्रभारी शैलेंद्र चौहान ने उसे पकड़ लिया।

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इसके बाद डंपर छोड़ने के बदले वन दरोगा ने एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी। फईम अहमद ने यह रकम देने के बाद विजिलेंस में शिकायत दर्ज कराई। जांच के दौरान आरोपों की पुष्टि होने के बाद विजिलेंस ने शैलेंद्र चौहान के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।

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अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिससे यह साबित हुआ कि आरोपी ने रिश्वत ली थी। कोर्ट ने दोषी पाए जाने पर शैलेंद्र चौहान को तीन साल के कठोर कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि सरकारी पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार करना गंभीर अपराध है और यह जनहित के खिलाफ है।

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इस फैसले को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। विजिलेंस की इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।