भीमताल: वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीक के दम पर मत्स्य पालन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत — सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी।

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भीमताल: वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीक के दम पर मत्स्य पालन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत — सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी।

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

भीमताल/नैनीताल, भारत सरकार के मत्स्य पालन सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा है कि देश को मत्स्य पालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैज्ञानिकों को आधुनिक तकनीकों पर आधारित अनुसंधान को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने यह बात शनिवार को भीमताल स्थित केंद्रीय शीतल जल मत्स्य अनुसंधान केंद्र में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान कही।

सचिव लिखी ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के माध्यम से सरकार मछली उत्पादन, गुणवत्ता, और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि देश के करीब 3 करोड़ मत्स्य पालकों में से 25 लाख अब तक नेशनल फिशरीज़ डिजिटल पोर्टल से जुड़ चुके हैं, और सरकार का लक्ष्य शेष सभी को इस पोर्टल से जोड़ना है।

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उत्तराखंड के शीतल जल संसाधनों में अपार संभावनाएं

सचिव ने कहा कि ठंडे पानी की मछलियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में इसके लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने रेनबो ट्राउट को “सुपरफूड” बताते हुए इसके उत्पादन को ग्रामीण रोजगार और किसानों की आर्थिक मजबूती से जोड़ने की बात कही।

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वैज्ञानिकों को दिए निर्देश

डॉ. लिखी ने अनुसंधान केंद्र में ऑर्नामेंटल फिशरीज यूनिट, रेनबो ट्राउट एक्वाकल्चर सिस्टम समेत विभिन्न तकनीकी इकाइयों का निरीक्षण किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे नई प्रजातियों के बीज किसानों को उपलब्ध कराएं और उन्हें प्रशिक्षण दें, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हों।

किसानों से संवाद और सुझाव

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण मत्स्य पालक मौजूद रहे। सचिव ने किसानों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याएं जानीं। साथ ही देशभर के वैज्ञानिक और किसान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े और कोल्ड वॉटर फिशरीज की आधुनिक तकनीकों को साझा किया।

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संस्थान को चाहिए भूमि विस्तार हेतु

कार्यक्रम के दौरान संस्थान के निदेशक डॉ. अमित पांडे ने संस्थान के कार्यों की जानकारी देते हुए इसके विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि संस्थान पर्वतीय क्षेत्रों में शीतल जल मत्स्यिकी में अनुसंधान और विकास के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

प्रमुख उपस्थितियाँ

इस अवसर पर सचिव, सहकारिता/पशुपालन/मत्स्य एवं दुग्ध विकास बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, मुख्य विकास अधिकारी अनामिका, डॉ. देविका (एजीएम मत्स्य), डॉ. अल्पना हलदर (उपनिदेशक), जिला विकास अधिकारी गोपाल गिरी, जिला मत्स्य अधिकारी शिखा आर्या सहित कई वैज्ञानिक एवं क्षेत्रीय किसान उपस्थित रहे।