दिव्यांग व कमजोर वर्ग तक अधिकारी खुद पहुँचें, घर-घर समाधान सुनिश्चित करें: सीएम धामी।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
खबर:
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” अभियान को औपचारिकता से निकालकर परिणाम-केंद्रित ‘गेम चेंजर’ बनाने के सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दिव्यांगों, बुजुर्गों, महिलाओं और कमजोर वर्ग के ऐसे लाभार्थी जो शिविरों तक नहीं पहुँच सकते, उनके घर तक अधिकारी स्वयं जाएँ, मौके पर ही आवेदन भरवाएँ और समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री आवास में कार्यक्रम की विस्तृत समीक्षा करते हुए सीएम धामी ने कहा कि यह अभियान केवल समस्याएँ सुनने का नहीं, बल्कि समाधान की पूरी प्रक्रिया का मंच है। जहाँ तत्काल समाधान संभव हो, वहाँ मौके पर ही कार्रवाई हो; अन्य मामलों में स्पष्ट समयसीमा और उत्तरदायित्व तय कर लाभार्थी को जानकारी दी जाए। खराब फीडबैक मिलने पर संबंधित क्षेत्र में पुनः शिविर लगाए जाएँगे।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि शिविरों का व्यापक प्रचार स्थानीय भाषाओं—गढ़वाली, कुमाऊँनी व अन्य बोलियों—में किया जाए और इन्हें उत्सव के स्वरूप में आयोजित किया जाए। आवेदन प्रक्रिया में लोगों को भटकना न पड़े, इसके लिए प्रत्येक समस्या के समाधान की समयसीमा तय हो। डीएम/सीडीओ बिना पूर्व सूचना के भी शिविरों में पहुँचें और बड़े न्याय पंचायतों व सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त कैंप लगाए जाएँ।
उन्होंने महिला मंगल दलों, स्वयं सहायता समूहों, युवक मंगल दलों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य करने के निर्देश दिए। साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाए और धीमी गति से काम करने वाले विभागों को चिन्हित किया जाए। शिविरों के बाद फीडबैक सर्वे, कॉल/एसएमएस के माध्यम से समाधान की पुष्टि तथा बार-बार आने वाली समस्याओं का विश्लेषण किया जाए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अभियान के तहत अब तक 56,550 से अधिक लोग प्रतिभाग कर चुके हैं। उन्होंने हाल ही में अल्मोड़ा के एक शिविर में औचक निरीक्षण कर जनता से सीधा फीडबैक लिया और आगे भी ऐसे निरीक्षण जारी रखने की बात कही। स्टॉल स्तर पर संवाद, आधार अपडेट, आयुष्मान कार्ड जैसी सुविधाओं की उपलब्धता और स्थानीय बोली जानने वाले अधिकारियों की तैनाती पर भी जोर दिया गया।
सीएम धामी ने दोहराया कि इस अभियान का मूल उद्देश्य शासन को जनता के द्वार तक पहुँचाना है—ताकि नागरिकों को स्पष्ट अनुभव हो कि सरकार उनकी सुविधादाता है, बाधा नहीं।





