सरकार पहाड़ों के हित में उचित कदम उठाए नहीं तो पलायन कई गुना बढ़ जाएगा, प्रदेश उपाध्यक्ष ने लिखा मुख्यमंत्री को खत

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*प्रदेश उपाध्यक्ष ने लिखा मुख्यमंत्री को खत*

*सरकार पहाड़ों के हित में उचित कदम उठाए नहीं तो पलायन कई गुना बढ़ जाएगा*

सेवा में,

श्रीमान- पुष्कर सिंह धामी जी,

माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड सरकार। देहरादून।

विषय: लैंसडाउन  विधानसभा के अंतर्गत रिखणीखाल एवं नैनीडांडा ब्लॉको में नर-भक्षी बाघों के आतंक से क्षेत्रीय नागरिकों को त्वरित सुरक्षा प्रदान करने एवं पीड़ित परिवारो को रोजगार  एवं उचित मुआवजा हेतु प्रार्थना पत्र।

महोदय,

आम आदमी पार्टी एवं उपरोक्त दोनों विकासखंडो के समस्त नागरिकों की ओर से उपरोक्त विषय पर  आपका ध्यान आकर्षित करते हुए त्वरित कार्यवाही हेतु निवेदन  करना चाहता हूं कि लैंसडौन विधानसभा के रिखणीखाल ब्लॉक के अंतर्गत   ग्राम – डालापाख  के  बीरेन्द्र सिंह पुत्र श्री गंगा सिंह को  13 अप्रैल 2023 को एवं 15 अप्रैल 2023  नैनीडांडा ब्लॉक  के अंतर्गत  ग्राम  शिमली के पूर्व  अध्यापक रणबीर सिंह नेगी को आदम खोर बाघों ने अपना निवाला बना कर मौत के घाट उतार दिया। जिससे इन ब्लॉकों के 515 गांव में दहशत का माहौल है। इस क्षेत्र में 3-4 बाघों ने कार्बोनेट नेशनल पार्क  से बाहर आकर इस क्षेत्र में आतंक मचा रखा है। अभी भी ये  नर-भक्षी बाघ उसी क्षेत्र में विचरण करते हुए प्रतिदिन कई गांवों में दिखाई दे रहे हैं। जिसके फलस्वरुप इस क्षेत्र के लोगों का घरों से बाहर निकलना दूभर हो गया है।

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यद्यपि इस दुर्घटना की सूचना वन विभाग व शासन- प्रशासन को क्षेत्र के लोगों द्वारा पत्राचार एवं विभिन्न मीडिया माध्यमों से दे दी गई है लेकिन शासन – प्रशासन एवं वन विभाग द्वारा लोगों की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। सुरक्षा के नाम पर केवल जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल की ओर से  दो दिन के लिए स्कूल बंद रखने का फरमान जारी किया गया है।  लेकिन विचारणीय विषय है कि क्या इससे क्षेत्रवासियों का बचाव संभव है? क्या बाघ छुट्टी के दिन बच्चों और अन्य क्षेत्रीय लोगों पर शासन द्वारा छुट्टी घोषित करने पर हमला नहीं करेगा?

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हमारा अनुरोध है कि क्षेत्र में वन  सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाय और वन विभाग द्वारा नरभक्षी बाघों को  पकड़ने के साथ साथ प्रहरियों की भी तैनाती की जाय।नागरिकों की सुरक्षा करना  सरकार का परम कर्तव्य है  इसलिए उत्तराखंड सरकार  एवं केंद्र सरकार से  निवेदन है कि  भविष्य में  क्षेत्र के लोगों के साथ  इस तरह की  पुनरावृति ना हो उसके लिए क्षेत्र के लोगों के स्थाई सुरक्षा हेतु निम्नलिखित उपाय किए जाएं।

 

 

1.  खेती को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों बंदर सूअर हाथी भालू इत्यादि के लिए जीवन यापन हेतु व्यवस्था हेतु जंगलों में फलदार वृक्ष आम अमरुद आंवले आदि लगाए जाएं।

2. मांसाहारी वन्यजीवों के भोजन की व्यवस्था हेतु जंगल में इनके जीवन यापन हेतु व्यवस्था की जाए जैसे जंगल में सुअर खरगोश आदि जानवरों की जनसंख्या बढ़ाई जाए ताकि मांसाहारी जीव इन पर निर्भर रहे।

3. कार्बेट नेशनल पार्क की चारों तरफ से कम से कम 20 फुट ऊंची  तार बाढ़ (घेरबंदी) की जानी चाहिए ताकि जानवर अपनी सीमा के अंदर रहे और कूदकर मानव बस्ती में न आ सके।

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4. क्षेत्रीय युवाओं को वन विभाग में नियुक्ति दी जाए क्योंकि उन्हें उस क्षेत्र के भौगोलिक स्थिति की पूरी जानकारी रहती है।

5. सरकार की ओर से कई ग्राम में वन्यजीवों से सुरक्षा हेतु ग्राम सुरक्षा दल गठित की जाए।

6. कार्बेट नेशनल पार्क से सटे ग्राम सभाओं में स्थानीय ग्रामीणो को जंगली जानवरों से सुरक्षित रहने हेतु उचित प्रशिक्षण दिया जाए।

 

हमें आशा है कि उत्तराखंड एवं केंद्र सरकार उपरोक्त क्षेत्रों की के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर  त्वरित कार्रवाई करेगी और सुझाए गए बिंदुओं पर अमल करेगी। सभी पीड़ित परिवारो के परिजनों को वन विभाग में सरकारी नौकरी एवं क्षतिपूर्ति हेतु  समुचित आर्थिक मुआवजा दिया जाए। अन्यथा पहाड़ का पलायन और जोर पकड़ सकता है समय रहते हुए पलायन रोकने में यह अत्यंत उचित कदम उठाए जाएं।

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