पेपर लीक का कुख्यात चेहरा हाकम अब सख्त नकलरोधी कानून के शिकंजे में, दोषी साबित हुआ तो आजीवन कारावास और करोड़ों का जुर्माना।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
देहरादून। उत्तराखंड में पेपर लीक का सबसे बड़ा खिलाड़ी कहे जाने वाले हाकम सिंह एक बार फिर कानून के शिकंजे में है। पहले भले ही वह 13 महीने में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पा गया था, लेकिन इस बार उस पर नया उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम एवं उपाय) अध्यादेश 2023 लागू हो गया है। इस सख्त कानून के तहत गिरोह बनाकर नकल या पेपर लीक कराने वालों को आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। यह अपराध अब संज्ञेय, गैर-जमानती और अशमनीय माना जाएगा।
हाकम का काला इतिहास
जुलाई 2022 का दौर यादगार है, जब प्रदेश में एक के बाद एक पेपर लीक कांड सामने आए और युवाओं में आक्रोश फैल गया। एसटीएफ की जांच में हाकम सिंह का नाम बार-बार सामने आया और उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हुए। जांच के बाद अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को दिसंबर 2021 की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा, जुलाई 2021 की वन दरोगा भर्ती परीक्षा और सितंबर 2021 की सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा रद्द करनी पड़ी।
यही नहीं, वाहन चालक भर्ती, अनुदेशक व कर्मशाला अनुदेशक भर्ती, मत्स्य निरीक्षक भर्ती, मुख्य आरक्षी पुलिस दूरसंचार व पुलिस रैंकर्स भर्ती परीक्षा भी निरस्त करनी पड़ी।
ऑनलाइन भर्ती पर भी डाला ताला
हाकम की करतूतों का असर इतना गहरा था कि आयोग ने ऑनलाइन मोड से ही परीक्षाएँ बंद कर दीं। जुलाई 2021 में आयोजित वन दरोगा ऑनलाइन परीक्षा में 83 हजार से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन हाकम ने इस परीक्षा का भी पेपर लीक कर दिया। नतीजा यह हुआ कि आयोग ने उसके बाद से किसी भी भर्ती परीक्षा को ऑनलाइन कराने का साहस नहीं दिखाया।
अब बचेगा नहीं हाकम
पहले नकल रोकने के कानून में खामियां थीं, जिनका फायदा उठाकर हाकम बार-बार छूट जाता रहा। मगर अब अध्यादेश 2023 ने उसकी राह बंद कर दी है। प्रदेश सरकार का मानना है कि ऐसे काले धंधे करने वालों को कड़ी सजा देकर ही भविष्य में युवाओं का विश्वास बहाल किया जा सकता है।


