कॉर्बेट में सरेआम जंगल की लूट, अफसर सोते रहे, वन माफिया बेलगाम, अफसर लापरवाह – कॉर्बेट में सागौन की लूट।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
रामनगर: देश-दुनिया में वन्यजीवों की शरणस्थली के रूप में प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क अब माफियाओं की लूट का अड्डा बनता जा रहा है। यहां जंगल की अवैध कटान खुलेआम हो रही है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी बेखबर हैं। बिजरानी बफर जोन में 28-29 मार्च की रात तस्करों ने कीमती सागौन के छह पेड़ काट लिए और वाहन में भरकर पार्क के गेट से निकल गए—वो भी बिना किसी रोक-टोक के!
चौंकाने वाली बात यह है कि जहां से पेड़ काटे गए, वह स्थान मुख्य चेकिंग गेट से कुछ ही दूरी पर है। मगर न तो गेटकर्मी सतर्क हुए, न ही पार्क प्रशासन को भनक लगी। सवाल ये है कि क्या वन विभाग और माफियाओं की मिलीभगत से ही ऐसा संभव हो सका?
घटना सामने आने के बाद पार्क प्रशासन में हड़कंप मच गया। अफसरों ने आनन-फानन में रिपोर्ट तैयार की और अज्ञात तस्करों के खिलाफ वन अपराध दर्ज किया। पार्क वार्डन अमित ग्वासिकोटी ने बताया कि लापरवाही बरतने वाले गेटकर्मी को हटाया जा रहा है।
साथ ही ग्राम चिल्किया की एक आरा मशीन पर छापा मारकर सागौन की चिरान लकड़ी बरामद की गई है। वहीं, एक बगीचे से साबुत गिल्टे मिलने के बाद मशीन संचालक उस्मान और बगीचा मालिक बब्बू उर्फ राशिद को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।
लेकिन बड़ा सवाल अब भी बरकरार है — क्या सिर्फ कॉल डिटेल्स और नोटिस से जंगल को बचाया जा सकता है? या फिर ये सब कार्रवाई महज लीपापोती है?
इस घटना ने सरकार के “सख्त वन सुरक्षा” दावों की पोल खोल दी है। जब कॉर्बेट जैसे संरक्षित क्षेत्र में तस्कर आराम से पेड़ काट ले जाएं, तो सोचिए बाकी जंगलों का क्या हाल होगा। क्या वन विभाग की यह चुप्पी मिलीभगत नहीं दर्शाती?
अब जवाबदेही तय होनी चाहिए—क्या धामी सरकार की वन सुरक्षा नीति सिर्फ कागजों तक ही सीमित है? क्या वन मंत्री इस मामले में चुप रहेंगे, या कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।










