मां बाल सुंदरी का डोला आज रात्रि को चैती मंदिर के लिए होगा रवाना।
श्रद्धालुओं में दिखा गजब का उत्साह, संकेतिक बलि के साथ होगी परंपरागत विदाई।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
काशीपुर। उत्तर भारत के प्रसिद्ध मेलों में शुमार काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी प्रांगण में आयोजित हो रहे चैती मेले का शुभारंभ 30 मार्च को ध्वजारोहण के साथ हुआ था। आज सप्तमी और अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में मां बाल सुंदरी देवी का पवित्र डोला परंपरागत विधि-विधान से नगर मंदिर से चैती मंदिर के लिए रवाना होगा।
डोला रात्रि लगभग 3:00 से 3:30 बजे के बीच श्रद्धालुओं की भक्ति, गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच रवाना होगा। चैती मंदिर पहुंचकर मां तड़के प्रथम पहर की आरती स्वीकार करेंगी। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
आज दोपहर को मां बाल सुंदरी की प्रतिमा को पंडा मनोज कुमार अग्निहोत्री के आवास पर पारंपरिक वस्त्रों व पुष्पों से सजाकर सार्वजनिक दर्शन हेतु प्रस्तुत किया गया। सुबह से ही श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े नजर आए। मां के जयकारों से वातावरण भक्तिमय बना रहा।
सहायक प्रधान पंडा मनोज अग्निहोत्री ने बताया कि रात्रि 12 बजे घट स्थापना कर संकेतिक बलि के रूप में नारियल, जायफल आदि समर्पित किए जाएंगे, जिसके पश्चात डोला रवाना होगा। उन्होंने बताया कि पूर्व में बकरे की बलि दी जाती थी, लेकिन समय के बदलाव के साथ अब संकेतिक बलि की परंपरा अपनाई गई है।
श्रद्धालुओं ने बताया कि मां बाल सुंदरी से जो भी सच्चे मन से मांगा जाए, वह अवश्य मिलता है। यही कारण है कि भक्त इस दिन का साल भर बेसब्री से इंतजार करते हैं। मां की कृपा से ही उनका डोला हर वर्ष सकुशल चैती मंदिर पहुंचता है और त्रयोदशी-चतुर्दशी की मध्यरात्रि में नगर मंदिर लौटता है।
विशेष बात यह है कि मां बाल सुंदरी की प्रतिमा में तीनों शक्तियों—सरस्वती, लक्ष्मी और काली—का समावेश है। दाहिने हाथ में कमल (सरस्वती का प्रतीक), सिर पर मुकुट (लक्ष्मी का प्रतीक) और बाएं हाथ में प्याला (काली का प्रतीक) है। इस कारण मां को ‘बाल सुंदरी’ कहा जाता है।










