मुलायम सिंह यादव का निधन, पार्थिव शरीर गुरुग्राम से सैफई के लिए रवाना।

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उधम सिंह राठौर प्रधान संपादक

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का आज 82 साल की उम्र में निधन हो गया। मुलायम सिंह यादव सियासत में भी अपने चरखा दांव के लिए मशहूर थे। तीन बार यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह यादव के सियासी जीवन में उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए हमेशा ‘नेताजी’ बने रहे।

 

 

मुलायम सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। यूं तो मुलायम की तबियत पिछले दो साल से ज्यादा खराब थी, लेकिन नौ जुलाई को दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के निधन के बाद वह ज्यादा टूट गए थे। पत्नी की मौत के चार महीने के अंदर ही मुलायम सिंह ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।

 

 

अपने नाम के ही अनुरूप मुलायम सिंह यादव हमेशा अपने समर्थकों और विरोधियों के प्रति भी मुलायम बने रहे। यही वजह है कि कट्टर प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाली भाजपा हो या फिर बीएसपी, सभी से मुलायम सिंह यादव के अच्छे रिश्ते बने रहे। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी अच्छी बॉन्डिंग थी। 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले संसद के आखिरी सत्र में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद दिया था कि वह एक बार फिर से पीएम बनेंगे। 22 नवंबर, 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव करीब 5 दशकों तक यूपी के शीर्ष नेताओं में से एक बने रहे।

 

 

मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक चुने गए और 7 बार सांसद भी रहे। वह 1996 से 1998 के दौरान देश के रक्षा मंत्री रहे थे और तीन बार यूपी के सीएम भी बने। मुलायम सिंह यादव ने 1989–91, 1993–95 और 2003–07 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया था। यही नहीं एक दौर में तो वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी बने थे। दशकों तक वह राष्ट्रीय नेता रहे, लेकिन उनकी सियासत का मुख्य उखाड़ा उत्तर प्रदेश ही था। किशोरावस्था से ही राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे। भले ही 2017 में वह सपा में बैकसीट पर गए और अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन मुलायम सिंह यादव ही सपा कार्यकर्ताओं के लिए नेताजी बने रहे।

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