ओमिक्रॉन भी डरता है क्या रैलियों से चुनाव जरूरी या फिर कोरोना पर नकेल।

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उधम सिंह राठौर – सम्पादक

यूरोप के देशों में ओमिक्रॉन ने तबाही मचा रखी है और अब धीरे-धीरे भारत में भी ओमिक्रोन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं देश भर में ओमिक्रॉन के अब तक 578 मरीज मिले हैं जिसमें महाराष्ट्र से आगे निकली दिल्ली यहां अब ओमिक्रॉन के सबसे ज्यादा मरीज हो गए हैं बता दें कि पहली बार रविवार को नए राज्यों में ओमिक्रॉन ने दस्तक दे दी है अब ओमिक्रॉन देश के 19 राज्यों में पहुंच गया है अब इस वायरस से ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। ओमिक्रॉन की दस्तक तेजी से भारत के हर राज्य में बढ़ रही है इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा चुनाव टालें और नीति आयोग का कहना है कि चौदह लाख केस आएंगे ओमिक्रॉन के 578 और कोरोना के 6531 केस हैं आज भारत में फिर भी दिन में खुली छूट है और रात में कर्फ्यू ऐसा क्यों क्या ओमिक्रॉन दिन में छुप जाता है और रात में बाहर निकलता है। लोग बाजार जा सकते हैं, रैलियां हो सकती हैं, हर जगह घूमा जा सकता है तो क्या हम इंतजार करें कि कितनी बुरी दशा आएगी और हम लोग तब जागेंगे जबकि सबको पता है कि स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि तीसरी लहर जरूर आएगी रोका नहीं जा सकता इतना सब झेलने और अपनों को खोने के बाद भी हम शून्य में हैं आखिर क्यों। ये सामान्य स्थिति नहीं है तो क्यों न सभी राजनैतिक दलों के अध्यक्ष आगे आएं और चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रखें जब लोग रहेंगे तभी राज होगा रैलियों और भीड़ पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए प्रचार टीवी,रेडियो और सोशल मीडिया के द्वारा हो क्योंकि जमाना डिजिटल का है वैश्विक महामारी का ये वक्त पूर्णतया सावधानी का है। उस अनहोनी को सोचिए जो दूसरी लहर में झेली गयी लोगों की जान की कीमत समझ ही चुनाव में कोई कदम आगे बढ़ाए सरकार या चुनाव आयोग।

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