हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास हेतु पौराणिक एवं पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन।

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उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

संस्कृति के संरक्षण सर्वधन एवं विकास हेतु समर्पित आर्टस एण्ड कल्चरल सोसाइटी, चिलियानौला रानीखेत अल्मोडा उत्तराखण्ड द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सर्वधन एवं विकास हेतु 20 दिवसीय पारम्परिक लोक कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया। तदोपरांत आज दिनांक 22 दिसम्बर 2022 को आर्टस एण्ड कल्चरल सोसाइटी के तत्वाधान में संस्था के कलाकारों द्वारा कामना बिष्ट के निर्देशन में उत्तराखण्ड की पारम्परिक एवं पौराणिक लोक कलाओं व लोक विधाओं पर भव्य पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन मदर्स ग्लोरी पब्लिक स्कूल टाण्डा, चिलकिया, रामनगर, नैनीताल उत्तराखण्ड में किया गया।

 

 

 

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अतिथि स्वरूप  बी.एल.ध्यानी रिटायर्ड वाद अधीक्षक उच्च न्यायालय नैनीताल, मीना पान्त्री प्रधानाचार्य महोदया एवं क्षेत्र के सम्मानित ग्राम प्रधान सुनीता देवी एवं उषा जोशी द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का सुभारम्भ किया गया। भारतीय परम्परा का वैशिष्ट अतिथि देवो भव की परम्परा के अनुसार मंच पर उपस्थित सम्मानित अतिथियों का स्वागत संस्था की निर्देशक एवं उपाध्यक्ष कामना बिष्ट द्वारा माल्यापर्ण, प्रतीक चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंटकर किया गया।

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कार्यक्रम का सुन्दर संचालन  हेमंत सिंह बिष्ट वरिष्ठ उद्घोषक एवं उत्तराखण्ड राज्य गीत के लेखक द्वारा किया गया। कार्यक्रम का निर्देशन कर रही कामना बिष्ट ने कहा कि संस्था अपनी संस्कृति के संरक्षण सर्वधन का कार्य कर रही है उन्होने कहा कि प्रदेश की संस्कृति और यहॉ निवास करने वाले लोगों के बीच एक अटूट सम्बन्ध होता है। प्राकृतिक विविधता एवं हिमालय का अद्वितीय सौंदर्य व पवित्रता उत्तराखण्ड की संस्कृति में एक नया आयाम जोड देते है। उत्तराखण्ड की प्राचीन परम्परा की जडें मुख्य रूप से धर्म से जुडी हुई है। संगीत नृत्य एवं कला यहॉ की संस्कृति को हिमालय से जोडती है। अतिथियों ने अपने संबोधन में कहा कि आर्टस एण्ड कल्चरल सांेसाइटी द्वारा हिमालय की लोक संस्कृति का व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है। उत्तराखण्ड की संस्कृति अपने अन्दर हिमालय और गंगा नदी के अदभुत सौन्दर्य को समेटे हुए है।

 

 

 

आज भी प्राचीन धार्मिक परम्पराओं को सहेजे हुए है। मदर्स ग्लोरी स्कूल के प्रबन्धक एवं प्रधानाचार्य महोदया ने संस्था के कलाकारों एवं सुन्दर आयोजन के लिए संस्था का अभार प्रकट किया उन्होने कहा कि छात्र छात्राओं तथां युवाओं में संस्कार एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाने का यह सशक्त माध्यम है। पारम्परिक एवं पौराणिक लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का निर्देशन कामना बिष्ट द्वारा तथा संचालन हेमंत विष्ट द्वारा किया गया कार्यक्रम निम्नवत है शिव स्तुति – शिव पार्वती द्वारा सुन्दर नृत्य शिव सम्भू शिव शंकर। मॉ नन्दा सुन्नदा की स्तुति- दैणा हो या खोली का गणेशा हो। उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोडा जिसके बोल है सच बताये पार्वती, शिवजी तेरा कॉछना।

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उत्तराखण्ड का पारम्परिक सामुहिक नृत्य-जिसके बोल है बेडू पाको बारू मॉसा। उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोक नृत्य की प्रस्तुति जिसके बोल है पहाड क मिठ कॉफला,कॉफला तू पाकले कब। जौनसारी लोक नृत्य – जिसके बोल है त्यर ख्यालों मै त्यर बातों में। लोक गायक अमित बुद्योडी द्वारा एकल गायन- पार भीडें की बसंती चोरा। लोक गायक कीर्ति गयान की सुन्दर प्रस्तुति लोकगीत जिसके बोल है-पांगर का छाला घुघुति। सामुहिक नृत्य की सुन्दर प्रस्तुति जिसके बोल है बैठ बाना मेरी गाडी मे।

 

 

 

 

थड़िया चौफूला- भाना ग्वीराला फूल फूलिगे म्यारा भिना। उत्तराखण्ड का पारम्परिक सामुहिक लोक नृत्य जिसके बोल है- ओ दिपा भाबरा। पारम्परिक गढवाली लोक नृत्य – छल कपट उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोडा- जिसके बोल है- हिमुली तेरा भल मिजाता, रंगिली तेरी साडी।

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वाद्य कलाकार-  अमित बुधोडी-हारमोनियम पर, कीर्ति गयाल- कीबोर्ड, महेन्द्र -बासुरी, हुडके पर भूवन जोशी सौरभ जोशी ढोलक पर।
गायन कलाकार- कीर्ति गयाल, अमित बुधोडी, ज्योति रावत, ममता आदि।

 

नृत्य कलाकार- कामना बिष्ट, लाल सिंह बिष्ट, धन लाल, विजय कुमार सिंह बिष्ट, धमेन्द्र सिंह, दिब्या शुक्ला, पूनम सिंह बिष्ट, रिया सिंह, राहुल मेहरा, नवीन चंन्द्र, धर्मेन्द्र कुमार, रजनी कडाकोटी,कविता, सुमन रावत, मनोज जोशी एवं किशोर पाठक, कमला राणा।

 

कार्यक्रम में सत्य प्रकाश सिंह, भरत सिह बिष्ट, हेमा बिष्ट, कामना बिष्ट, सरोज हर्ष, कमला मेहरा, गीता अधिकारी, पार्वती, लीला देवी, लाल सिंह बिष्ट, जॉनकी जोशी, लता मिश्रा, मदर्स ग्लोरी स्कूल के अध्यापकगण एवं अध्यापिकाएं तथा छात्र छात्रांए एवं सम्मानित दर्शकगण मौजूद रहे। अतं में संस्था के अध्यक्ष एवं सचिव ने मुख्य अतिथि एवं सम्मानित दर्शकों एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, प्रिंट मीडिया का आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।

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