भाजपा में बगावत: रामनगर में गणेश रावत का नामांकन सियासी समीकरण बदल सकता है।

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भाजपा में बगावत: रामनगर में गणेश रावत का नामांकन सियासी समीकरण बदल सकता है।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

 

रामनगर: नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन राजनीतिक माहौल गरमा गया। कुल 18 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया, जिनमें 6 से अधिक भाजपा के बागी उम्मीदवार शामिल हैं। इस बीच भाजपा नेता और पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गणेश रावत का निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

 

 

 

गणेश रावत ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद कहा कि समाज के बुद्धिजीवियों और आम जनता का उन पर दबाव था कि वे चुनाव में उतरें। उन्होंने कहा, “मेरे पास सोशल मीडिया पर लगातार संदेश आ रहे थे। लोगों का कहना था कि मुझे चुनाव में उतरना चाहिए। जनता के दबाव और समाज की उम्मीदों को देखते हुए मैंने यह फैसला लिया।”

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भाजपा के लिए बढ़ती चुनौतियां

रामनगर में भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन गणेश रावत और अन्य बागी उम्मीदवारों की मौजूदगी से पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी के लिए राह मुश्किल हो सकती है। जानकारों का मानना है कि यदि गणेश रावत अंत तक चुनावी मैदान में बने रहते हैं, तो भाजपा के वोटों का विभाजन लगभग तय है।

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गणेश रावत ने कहा, “हमने पार्टी से अपनी उम्मीदवारी पर विचार करने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरा जीवन सेवा और समर्पण का रहा है। राजनीति को मैंने कभी अवैध काम या धन कमाने का साधन नहीं माना।”

 

 

निकाय चुनाव में हलचल तेज

गणेश रावत के नामांकन से रामनगर के राजनीतिक पारे में बढ़ोतरी हो गई है। भाजपा के भीतर असंतोष की स्थिति उजागर हुई है, क्योंकि कई अन्य बागी उम्मीदवार भी मैदान में हैं। कुल मिलाकर, भाजपा के लिए यह चुनाव एक चुनौतीपूर्ण परीक्षा साबित हो सकता है।

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अब देखना होगा कि भाजपा बागी नेताओं को मनाने और पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाती है। वहीं, विपक्षी दल इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश में हैं। आने वाले दिनों में रामनगर का निकाय चुनाव सियासी दांव-पेंच से भरा हुआ नजर आएगा।