उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

आज गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर ने धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांत की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राण की आहुति दे दी थी. सिख धर्म में उनके बलिदान को बड़ी ही श्रद्धा से याद किया जाता है. गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म बैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. गुरु तेग बहादुर की इस जयंती पर उनके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं।देश भर में आज सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। गुरु तेग बहादुर सिंह एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे और उनका जन्म वैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। इस दिन को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरु साहिब के इतिहास और शहादत के बारे में बताया जाता है। प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब में जाकर प्रार्थना की। पीएम मोदी गुरुद्वारे में बिना किसी सुरक्षा घेरे के गए थे। वही लाल किले से एक नया अध्याय लिखते हुए प्रधानमंत्री ने गुरु तेग बहादुर के जीवन पर प्रकाश डाला और एक ₹400 का सिक्का और एक डाक टिकट का भी विमोचन किया है।
बचपन में त्यागमल था नाम- गुरु तेग बहादुर सिंह का बचपन का नाम त्यागमल बताया जाता है. उन्होंने मात्र 14 साल की उम्र में अपने पिता के साथ के मिलकर मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी. 24 नवंबर 1675 को भीड़ के सामने उनकी हत्या कर दी गई. उनके पिता ने उन्हें त्यागमल नाम दिया था, लेकिन मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वे तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गए. तेग बहादुर का मतलब होता है तलवार का धनी।
औरंगजेब ने कराई हत्या- गुरु तेग बहादुर कश्मीर में हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाने के सख्त विरोधी थे. उन्होंने खुद भी इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था. यही वजह है कि औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश दिया था. दिल्ली का मशहूर गुरुद्वारा शीश गंज साहिब जहां है, उसी स्थान पर उनकी शहादत हुई और उनकी अंतिम विदाई भी यहीं से हुई थी.
