प्रदेश में गहराया बिजली संकट अधिकारियों के पास नहीं है कोई समाधान।

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रोशनी पाण्डेय- सह सम्पादक

देहरादून उत्तराखंड में बिजली का संकट गहरा गया है। ऊर्जा प्रदेश कहे जाने वाले उत्तराखंड में जहां बिजली का संकट गहरा गया है, वही विधुत विभाग के अधिकारी इससे निपटने के लिए कोई समाधान नहीं निकल पा रहें। बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर

 

सिंह धामी ने विधुत विभाग की आधी अधूरी तैयारियों पर विभाग के आला अधिकारियों को आड़े हाथों ले लिया। उन्होंने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए अधिकारियों को सख्त लहजे में निर्देश दिए कि शीघ्र अतिशीघ्र बिजली संकट से निपटने का समाधान ढूढा जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बिजली विभाग के अफसरों से पूछा कि बिजली संकट से निपटने के क्या किया ज सकता है। सचिव ऊर्जा, यूपीसीएल पिटकुल और अन्य अधिकारी इसकी रिपोर्ट शीघ्र उन्हें दे और इस रिपोर्ट को मुख्य सचिव को भी भेजा जाएं।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि जब औधौगिक क्षेत्र एवं प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली संकट की शुरुआत हो गई थी उसी समय इससे निपटने के लिए उचित समाधान निकालने के भरस्क प्रयास क्यों नहीं किए गए। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा की बैठक शीघ्र ही पुनः आयोजित की जाए।

 

इसके अलावा उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी सुनिश्चित करने की पूरी तैयारी और समाधान की पूरी योजना बनाकर ही बैठक में शामिल हो। बिजली संकट को लेकर धूप में उपवास पर बैठे हरीश रावत उत्तराखंड में बिजली संकट के साथ-साथ अब इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। प्रदेश में गहरा रहे बिजली संकट को लेकर सुबह के पूर्व मुख्यमंत्री वाह वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश रावत शुक्रवार को राजपुर रोड स्थित अपने आवास पर सुबह 11:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक तपती धूप में मौन व्रत पर बैठे।

 

उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह जानकारी सांझा की। हरीश रावत ने कहा कि धानी सरकार बिजली संकट को लेकर संवेदनशील होना पड़ेगा। उनका 1 घंटे तक कड़ी धूप में बिजली संकट को लेकर मौन व्रत करना एक तरह की तपस्या में शामिल है। उन्होंने कहा कि मेरे 1 घंटे के इस तप से उत्तराखंड में बिजली का संकट कम हो ऐसी मैं कामना करता हूं। हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस को बिजली सत्याग्रह के रूप में अभियान चलाना चाहिए और जो घंटों बिजली कटौती हो रही है उसे लेकर सरकार से सवाल पूछने चाहिए। हरीश रावत ने कहा कि सरकार बिजली संकट को लेकर संवेदनशील नहीं है। इसके लिए सरकार को जगाने की आवश्यकता है।

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