रोशनी पाण्डेय – सह सम्पदाक
“झील का पानी मलुवा-गंदगी से हो रहा है दिनों-दिन प्रदूषित”
‘झील प्रेमी एवं समाज सेवी बृजवासी’ ने भेजा केंद्र व राज्य सरकार को जिलाधिकारी द्वारा ज्ञापन, और कि झील में नालों से समाने वाले गाद-मिट्टी निकासी एवं रोकथाम की माँग भीमताल झील की सफाई का मामला लगभग 3 दशक से अधर पर लटका पड़ा है , नगर वासी एवं पर्यटन व्यवसायी झील की सफाई न होने से काफी चिंतित है जिससे दिनों-दिन झील का पानी प्रदूषित होता जा रहा है और गाद-मिट्टी भरने से झील की गहराई कम हो रही है जिसको लेकर नगर के चिंतित सामाजिक कार्यकर्ता झील प्रेमी पूरन चंद्र बृजवासी ने आज नैनीताल जिलाधिकारी को भीमताल झील की मुख्य समस्या से अवगत कराया साथ ही भारत के प्रधानमंत्री एवं राज्य के मुख्यमंत्री को झील के लिए विशेष योजना एवं बजट स्वीकृति की मांग बाबत ज्ञापन भिजवाया l
साथ ही अपने पत्र में बताया हैं कि झील में हर साल गाद-मिट्टी भरने से झील सकरी हो रही है और झील के पानी की स्टोरेज क्षमता कम हो रही है, झील का मल्लिताल छोर सिल्ट व गाद से भरा पड़ा है, उन्होंने कहाँ विभागीय सर्वे के आकड़े बताते हैं कि 1985 में झील की गहराई 22 मीटर थी जबकि वर्तमान में घटकर 17 मीटर ही रह गई हैं, साथ ही वर्ष 2006 में भीमताल झील का पानी पीने योग्य नहीं बताया है, भीमताल झील की सफाई एवं गाद-मिट्टी निकासी के लिए उनके द्वारा पूर्व में कई बार मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी, कुमाऊँ आयुक्त, विधायक, सांसद, पर्यटन मंत्री, मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री तक ज्ञापन भेजे गए l
किन्तु झील आज भी गाद-मिट्टी निकासी और सफाई के इंतजार में है, समाज सेवी बृजवासी ने पुनः केंद्र एवं राज्य सरकार से झील व उसमें आने वाले नालों की रोकथाम के लिए विशेष कार्य योजना तैयार कर बजट पास करने कि मांग की है l
























