उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
काशीपुर। नगर स्थित कुंडेश्वरी क्षेत्र के स्टोन क्रेशरों के खिलाफ गुस्साये ग्रामीणों ने आज से यहाँ उपजिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंच कर धरना आरंभ कर दिया। जल एवं पर्यावरण सुरक्षा समिति के बैनर तले कई किसान संगठनों से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण महिलाएं और पुरूष उपजिलाधिकारी कार्यालय पर स्टोन क्रेशरों की मनमानी से आजिज आकर धरने पर बैठ गये हैं। मामला अवैध खनन से जुड़ा हुआ है। इस कारोबार से ग्रामीणों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। स्टोन क्रेशर स्वामियों ने पोपलेन जेसीबी की मदद से गहरे गहरे गड्ढे कर दिये हैं। इन गहरे गड्ढों की वजह से से वहाँ जल स्तर काफी नीचे हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार के खनन नीति के आदेशों की आड़ में कुंडेश्वरी क्षेत्र के कुछ स्टोन क्रेशर अवैध रूप से खनन कर 80 से 100 फीट तक के खुदान कर रहे हैं। इन गड्ढों में 8 से 10 इंच तक के दर्जनों पम्प सैट लगाकर पानी आस पास की नदियों तथा नहरों में छोड़ रहे हैं।यह पानी पीने योग्य नहीं है। यही नहीं इन क्रेशरों के आसपास भूमिगत जल स्तर भी गिर रहा है।
नल सूख गये हैं। ग्रामीणों व कृषकों के पालतू पशुओं की गंदे पेयजल की वजह से मौत हो रही है। बता दें कि इन स्टोन क्रेशरों के खिलाफ ग्रामीण गत एक सप्ताह से क्षेत्र में ही आंदोलनरत हैं। पिछले दिनों उपजिलाधिकारी अभय प्रताप भी मौके पर जाकर निरीक्षण कर चुके हैं। और इस संबंध में जांच के आदेश दे चुके हैं। उधर भारतीय किसान यूनियन, अन्नदाता किसान संगठन समेत कई अन्य संगठनों ने ग्रामीणों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। वहीं इस आंदोलन के लिए जल एवं पर्यावरण सुरक्षा समिति बनाकर ग्रामीण धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।ग्रामीण कहते हैं कि मशीनों द्वारा हो रहे अवैध खनन की वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया लेकिन प्रशासनिक अमला इस ओर कोई भी ध्यान देता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
चिंतित ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों से समय-समय पर शिकायतें भी की जा रही है। पर शिकायतों के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई समाधान न किये जाने से किसान व ग्रामीण आक्रोशित हो गये हैं। दरअसल इस सारी समस्या की जड़ जल एवं पर्यावरण सुरक्षा समिति के लोग उत्तराखंड सरकार के 18 अक्टूबर 2021 के एक आदेश को बताते हैं। उत्तराखंड शासन औद्योगिक विकास खनन अनुभाग की खनन नीति जो भारत सरकार की अधिसूचना के आधार पर बनाई गई है। जिसमें कहा गया है कि नदी/सहायक नदी /गदेरों के तल से लगी एवं उक्त से भिन्न निजी नाप भूमि के समतलीकरण वाटर स्टोरेज, टैंक रिसाइकलिंग टैंक आदि निर्माण के रूप में घोषित करते हुये उक्त खननकारी क्रियाकलापों हेतु पर्यावरणीय अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
उक्त के अतिरिक्त ईंट मिट्टी एवं सड़क भरान हेतु साधारण मिट्टी को निकालने की क्रिया खनन संक्रियाओं के अन्तर्गत नहीं आयेगी तब तक कि खनन स्थल की गहराई दो मीटर से अधिक नहीं होगी। उपजिलाधिकारी कार्यालय पर ग्रामीणों ने एक विशाल सभा की। जहाँ पर वक्ताओं ने स्टोन क्रेशर स्वामियों पर आरोप लगाया कि धन बल से वह जुड़का व आसपास के क्षेत्रों में बेखौफ होकर अवैध खनन में लिप्त हैं।
उपस्थित प्रमुख लोगों में जल एवं पर्यावरण सुरक्षा समिति के अध्यक्ष रेशम सिंह, बलबीर सिंह, चरनजीत सिंह, हिमांशु नौंगाई, चरन सिंह, अमर घुम्मन, राजेन्द्र कौर, अजय गौतम, प्रताप विर्क, जितेन्द्र जीतू, होशियार सिंह, पंकज मोनू सीमा कौर, सूरज पाल, हरदीप संधू समेत सैकड़ोंन की संख्या में ग्रामीण महिलाएं और पुरूष शामिल हैं।