सलीम अहमद साहिल – संवाददाता

प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 2 फरवरी को नम भूमियो के संरक्षण हेतु नम भूमि दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2 फरवरी 1971 को ईरान देश के रामसार शहर में नमभूमि के संरक्षण हेतु आयोजित संधि के उपलक्ष्य में की गयी है। इस वर्ष के नम भूमि दिवस का विषय ” नम भूमियो का पुनरुद्धार” है। इस अवसर पर तराई पचिमी वन प्रभाग एवं द कॉर्बेट फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से एक कार्यक्रम का आयोजन तुमरिया जलाशय में लिया गया। उपरोक्त कार्यक्रम में नम भूमियो के महत्व, योगदान एवं भूमियो के संरक्षण की चुनौतियों इत्यादि विषयो पर जानकारिया साझा की गयी। द कॉर्बेट फाउंडेशन द्वारा तराई पचिमी वन प्रभाग के कर्मियो को तुमरिया जलाशय में प्रवासी पक्षियों की पहचान, उनका महत्व, उनके आवास, खतरे अथवा संरक्षण के बारे में जानकरी भी दी गई।
कार्यक्रम में कॉर्बेट फाउंडेशन के प्रोजेक्ट अधिकारियों दीप्ति पटवाल एवं मनीषा बिष्ट द्वारा वन कर्मियों को नमभूमि के बारे के बारे में जानकारिया एवं प्रवासी पक्षियों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के दौरान वन कर्मियों द्वारा तुमरिया जलाशय में आने वाले प्रवासी पक्षियों की गणना की गई, जिसमे बार यूरेशियन कूट, वूली नेक्ड स्टॉर्क, एशियन ओपन बिल, कॉमन पोचार्ड, टफ्टेड पोचार्ड, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, लिटिल कौरमोरेंट, इंडियन कौरमोरेंट, ग्रेट कौरमोरेंट आदि प्रजाति के प्रवासी पक्षी दिखे।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रकाश चंद्र आर्या, वन प्रभागीय अधिकारी, तराई पश्चिमी वन प्रभाग द्वारा किया गया। उपरोक्त कार्यक्रम में आर. के. मौर्या, उप प्रभागीय वन अधिकारी, तराई पश्चिमी वन प्रभाग एवं डॉ. हरेंद्र सिंह बर्गली, उप निदेशक, कॉर्बेट फाउंडेशन, ढिकुली, कृपाल सिंह बिष्ट, क्षेत्रीय वन अधिकारी, बिजेंद्र सिंह अधिकारी, क्षेत्रीय वन अधिकारी बैलपराव, लक्ष्मण सिंह मर्तोलिया, क्षेत्रीय वन अधिकारी बन्नाखेड़ा, पूरन सिंह कठायत, क्षेत्रीय वन अधिकारी आमपोखरा, संजीव कुमार, क्षेत्रीय वन अधिकारी काशीपुर, ललित कुमार, क्षेत्रीय वन अधिकारी दक्षिणी जसपुर, चंद्रशेखर सुयाल, यासीन, इदरिश हुसैन आदि उपस्थित थे।
