श्रीमद्भगवद्गीता में सामाजिक चिन्तन विषयक व्याख्यान का हुआ आयोजन।

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गूरजोत सिंह राठौर – मीडिया प्रभारी

पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी(उत्तराखंड सरकार)द्वारा जनपद नैनीताल के अन्तर्गत आनलाईन गीता मासमहोत्सव का आयोजन किया गया।इस अवसर क्रम में ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में व्याप्त श्रीमद्भगवद्गीता आदि संस्कृतग्रन्थों के प्रति भ्रान्तियों का निराकरण करना था । व्याख्यान का मुख्य विषय “श्रीमद्भगवद्गीता यां सामाजिकचिन्तनम्” रहा।जिस पर मुख्यवक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,नयी दिल्ली के प्राच्यसंकायाध्यक्ष प्रो. सन्तोष शुक्ल ने गीता की शिक्षाओं को वर्तमान में भी प्रासंगिक बताया।उन्होंने कहा कि गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन के माध्यम से समाज के प्रत्येक जन को अकर्म का त्यागकर सत्कर्म करने की बात कही।साथ ही आत्मावलोकन, समुचित आचार, विचार, व्यवहार, एवं महापुरुषों के सन्मार्गगामी पदचिन्हों आदि पर चलने की ओर इंगित किया। मुख्य अतिथि निदेशक, उच्चशिक्षा, उत्तराखण्ड प्रोफेसर पी.के.पाठक ने जीवनचर्या में गीता को अपना कर व्यक्ति आदर्श जीवनशैली , उचित-अनुचित का ज्ञान प्राप्त करता है आदि बात कही। वक्ता गुरुकुलकांगडीविश्वविद्यालय,हरिद्वार, संस्कृतविभाग के प्रोफेसर विनयविद्यालंकार ने “गीता में जीवनप्रबन्धन के सूत्र” विषयक व्याख्यान प्रस्तुत कर कहा कि वेदों से लेकर गीता आदि संस्कृत ग्रन्थों को पढ़कर मनुष्य अराजकता, अनाचार, दुराचार, भ्रष्टाचार, वर्ग भेद आदि का परित्याग कर समत्व का अनुसरण करते हुए अपना भविष्य संवार सकते है।
गणमान्यातिथि संस्कृत विभागाध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफे. रामसेवक ने समस्त कर्मों को भगवान् को समर्पित कर जीवन सफल होने की बात कही।सारस्वत अतिथि जम्मू वि.वि. प्रोफे. रामबहादुर ने कोरोना काल में भी भारतीय जीवन पद्धति को अपनाकर जीवन सुरक्षित रखने की बात कही।विशिष्ट अतिथि निदेशक ,संस्कृत शिक्षा ने नैतिक शिक्षा,अनुशासन पर अपनी बात रखी। व्याख्यानमाला का शुभारम्भ एवं अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्राचार्य प्रो.एम.सी.पाण्डे ने गीता को आधुनिक युग में भी सर्वसाधारण के लिए उपयोगी बताया।मंच संचालक एवं संयोजक नैनीताल जनपद ,प्रभारी-संस्कृतविभाग डॉ.मूलचन्द्र शुक्ल ने समस्त अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत कर कार्यक्रम की विषयवस्तु प्रस्तुत की।राज्य संयोजक डॉ हरीशचंद्रगुरु रानी ने अन्त में समस्त अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।तकनीकी सहयोग सहसंयोजक डॉ.प्रकाश सिंह बिष्ट ने किया।कार्यक्रम में भारत के विभिन्न अंचलों के संस्कृत अनुरागियों ,विद्वानों एवं विद्यार्थियों ने अत्यंत उत्साह के साथ प्रतिभाग किया।

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