हिमालय राज्यों में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं।

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हिमालय राज्यों में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

 

पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर के कैरियर काउंसलिंग प्रकोष्ठ के तत्वाधान में महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा गुरुदिवस व्याख्यानमाला के तृतीय संस्करण के अंतर्गत प्रथम ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक “हिमालय राज्यों में पर्यटन विकास की संभावनाएं एवं चुनौतियां” रहा।

 

 

तृतीय संस्करण के प्रथम व्याख्यान का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य एवं व्याख्यान माला के निर्देशक प्रोफेसर एम सी पांडे जी द्वारा उत्तराखंड के साथ-साथ हिमालय राज्यों में पर्यटन को मुख्य व्यवसाय के रूप में शामिल करने की आवश्यकता पर जोड़ देते हुए जोर देते हुए एवं पर्यटन की प्रासंगिकता को समझाते हुए कियाl
व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में कुमाऊं विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अतुल जोशी जी ने हिमालय राज्यों में पर्यटन की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की।

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प्रोफेसर जोशी द्वारा हिमालय क्षेत्र के कुल नौ राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम तथा जम्मू एंड कश्मीर और असम आदि में पर्यटन विकास एवं स्थानीय परंपराओं को समझाते हुए राज्यों की भिन्न-भिन्न प्रकार की खूबियां जैसे सिक्किम की बड़ी इलायची तथा दार्जिलिंग की चाय को पहले ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग (GI TAG) के संबंध में विस्तार से बताया और कहा की इन हिमालय राज्यों में कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां बांस का बहुत अधिक महत्व है और वहां जीवन की शुरुआत से लेकर अंत तक बांस का अपना ही विशेष महत्व माना जाता है और इसके बिना कोई काम पूर्ण नहीं होता|

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प्रोफेसर जोशी द्वारा उत्तराखंड एवं हिमालय राज्यों में लागू होमस्टे योजना को गृह प्रवास नाम देकर भी संबोधित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य यह बताना था की बाहर से आने वाले लोग हमारे प्राचीन परंपराओं से युक्त मकान में रहे, वहां की जीवन शैली को समझें और लकड़ी पर डिजाइन निर्माण की कला को दूसरे राज्यों तक पहुंचाएं । प्रोफेसर जोशी ने हिमालय राज्यों को कई सभ्यताओं के विकास का केंद्र बताया और कहा कि आज रोजगार की कमी की वजह से पर्वतीय राज्यों से बड़ी मात्रा में मैदानी राज्यों की ओर युवाओं का पलायन हो रहा है जिसे रोकने के लिए पर्यटन महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है।

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कार्यक्रम का संचालन कर रही आयोजक सचिव डॉ0 ममता भदोला जोशी द्वारा कार्यक्रम की विषय वस्तु को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया तथा वाणिज्य विभाग प्रवक्ता डॉ0 भानुप्रताप दुर्गापाल द्वारा सभी अतिथियों का धन्यवाद दिया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यक्रम की प्रबंध समिति के डॉ अनुराग श्रीवास्तव, डॉ.दीपक खाती व डॉ.प्रकाश सिंह बिष्ट ने विशेष सहयोग प्रदान किया।

 

 

व्याख्यानमाला में रामनगर महाविद्यालय के प्राध्यापकों के साथ-साथ अन्य महाविद्यालयों के प्राध्यापक एवं महाविद्यालय के विद्यार्थियों व शोधार्थियों इत्यादि ने प्रतिभाग किया।