उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
उत्तराखंड- चार राज्यों में मिले पूर्ण बहुमत के बाद अब भाजपा सरकार बनाने की तैयारी में जुट गई है। वही उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा के हाथों करारी हार के बाद कांग्रेस के खेमें में सन्नाटा पसरा हुआ है। वही दूसरी ओर भाजपा में जश्न का माहौल है। अपनी जीत का दावा करने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राजनीति पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत की वैवाहिक वर्षगांठ पर लालकुआं की जनता ने हार का तोहफा देकर बता दिया कि रावत अब राजनीति में पूरी तरह असफल साबित हुई है। वही अगर राजनीति जानकारों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भाजपा के चुनावी कैंपेन में सेंध लगाने में असफल साबित हुए हैं। उनकी अपने ही प्रत्याशियों से दूरी बनाए रखना भी कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बनी।
वही लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड रहे हरीश रावत मतदान से कुछ दिन पहले ही लालकुआं पहुंचे और अपनी जीत के प्रति आशान्वित होकर उन्होंने कांग्रेस के किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं किया।जिसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस कुमाऊं सहित गढ़वाल में भी बुरी तरह भाजपा के हाथों से हार गई। वही उत्तराखंड में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है, जिसके बाद भाजपा अब सरकार बनाने में जुट गई है। वही भाजपा ने मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी मंथन शुरू कर दिया है।कायस लगाएं जा रहे हैं कि क्या भाजपा कांग्रेस के हाथों करारी शिकस्त पाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फिर एक बार उत्तराखंड की कुर्सी सौंपेगी। इस बात पर चर्चाएं जोरों पर है। आपको बता दें कि खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव लड रहे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी ने सीएम धामी को खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव में बूरी तरह पराजित कर दिया है।
अब अगर भाजपा धामी को मुख्यमंत्री बनाती है तो उन्हें फिर एक बार अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। वही भाजपा को यह डर भी सता रहा है कि अगर धामी फिर चुनाव हार गए तो भाजपा को मुंह की खानी पड सकती है। वही दूसरी तरफ यह भी माना जा रहा है कि केन्द्रीय नेतृत्व इस बार धामी की जगह अन्य किसी बड़े चेहरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने पर विचार विमर्श कर सकतीं हैं। फिलहाल इस बात का फैसला तो दिल्ली दरबार से ही आएगा। फिलहाल सीएम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।









