पूर्व विधायक के खेत में हुड़के की थाप पर की गई धान की रोपाई।

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पूर्व विधायक के खेत में हुड़के की थाप पर की गई धान की रोपाई।

 

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

रामनगर। हर साल की तरह इस साल भी “हमारी संस्कृति हमारी धरोहर” अभियान के तहत उमेदपुर गांव स्थित पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के “दा पहाड़ी ऑर्गेनिक फार्म” के खेतों में कुमाउंनी संस्कृति के अनुसार हुड़के की थाप पर धान रोपाई का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आसपास के ग्रामीणों ने भी उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। रविवार को पर्वतीय सांस्कृतिक परंपरा के तहत हुए हुड़किया बल के इस आयोजन में पर्वतीय वाद्य यंत्रों के साथ धान की रोपाई की गई।

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इस मौके पर रणजीत रावत ने बताया कि यह हमारी पौराणिक सांस्कृतिक विधा है। पहले सामूहिक खेती हुआ करती थी और खेती में काम करते समय किसानों को ज्यादा थकान ना हो इसलिए खेत में काम करने वालों के साथ एक आदमी हुड़के के साथ गाना गाकर उनका मनोरंजन भी करता था। इससे न केवल काम भी जल्दी होता था बल्कि काम की थकान भी महसूस नहीं होती थी। बदलते समय में यह विधा लगभग विलुप्त सी हो गई है। हमारी पुरानी पीढ़ी ने हमें यह विधा सौंपी थी तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी अगली पीढ़ी को इसको सौप कर जाएं। इसी के चलते पिछले वर्षों से उनके खेत में हुड़किया बोल का आयोजन किया जाता रहा है।

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इस दौरान क्षेत्रीय जन ने पर्वतीय व्यंजनों का स्वाद भी लिया. इस मौके पर ललिता उपाध्याय, पुष्पा देवी, विमला आर्य, बीना रावत, मीमांसा आर्य, हाजी मो अकरम, महेंद्रप्रताप सिंह बिष्ट, वीरेंद्र तिवारी, सुमित तिवारी, मौ. अजमल, अनिल अग्रवाल खुलासा, मोईन खान, भुवन शर्मा, देशबंधु रावत, नरेश कालिया, बालिराम, जसकार सिंह, बाबर खान, धीरज उपाध्याय, गिरीश बिष्ट, आफाक हुसैन, दुर्गा भट्ट, गीता देवी, एनडी पंत, धाराबल्लभ पाण्डे, गिरधारी लाल, कुबेर बिष्ट, विक्रम भट्ट, गोपाल रावत, प्रताप रौतेला, भूपालराम, राजीव अग्रवाल, महेंद्र सिंह रावत, लईक अहमद सैफी, गिरधारी लाल, भुवन चंद्र, भोपाल राम, हरीश आर्य, देवेंद्र चंदोला, पंकज सुयाल, जयपाल कड़ाकोटी, कुबेर कड़ाकोटी, अनुभव बिष्ट, धीरज मौलिखी, राजेन्द्र बिष्ट, प्रेम जैन, जावेद खान, कैलाश त्रिपाठी, डूंगर कनवाल, लक्ष्मण सिंह रावत, दीपू सिंह, प्रिस वालिया, गुरदीप सिंह, कुंदन नेगी, ओम प्रकाश पड़लिया, शेरूद्दीन, किशन सेठ, जसवीर सिंह, माखन सिंह, कमल नेगी के अलावा तमाम क्षेत्रीय ग्रामीण भी इस विधा को जानने के लिए इकट्ठा हुए थे।