भुवन डंगवाल ने नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा, जनता से किया गया छल नहीं सहन किया जाएगा।

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भुवन डंगवाल ने नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा, जनता से किया गया छल नहीं सहन किया जाएगा।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

रामनगर, नैनीताल: उत्तराखंड में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए गहमागहमी अपने चरम पर है। नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब राजनीतिक व गैर-राजनीतिक प्रत्याशी चुनावी रणनीतियों में पूरी तरह जुट गए हैं। रामनगर नगर क्षेत्र में अध्यक्ष पद के लिए कई प्रत्याशी मैदान में हैं। सभी प्रत्याशी जनता को लुभाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

 

विकास के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप

रामनगर में विकास का मुद्दा प्रमुख बना हुआ है। निर्दलीय प्रत्याशी भुवन  डंगवाल ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक दलों ने वर्षों से विकास के नाम पर जनता को छलने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कई प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए बड़े वादे कर रहे हैं, लेकिन असलियत में इन वादों का जमीन पर कोई असर नहीं हुआ।

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भुवन डंगवाल ने कहा, “पूर्व चेयरमैन 15 साल तक इस पद पर रहे, लेकिन रामनगर के विकास के लिए कुछ नहीं किया। अब वे पांच और वर्षों का समय मांग रहे हैं। यह जनता को गुमराह करने का एक और प्रयास है।”

 

विकास के दावों पर सवाल

रामनगर के नागरिकों का कहना है कि शहर में बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, जल निकासी, और सफाई व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने विकास के बड़े-बड़े वादों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वर्षों से क्षेत्र में बदलाव की कोई ठोस योजना नहीं बनी है।

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चुनावी माहौल गरमाया

विभिन्न प्रत्याशी अपने-अपने वादों के साथ मैदान में उतरे हैं। कुछ प्रत्याशी जहां पार्टियों का समर्थन लेकर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी जोर-शोर से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

 

रामनगर में जनता का मूड स्पष्ट नहीं है, लेकिन एक बात साफ है कि इस बार विकास ही सबसे बड़ा मुद्दा होगा। प्रत्याशी अपनी रणनीतियों से जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं कि विकास के नाम पर केवल वादे क्यों, अमल कब?

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जनता की अपेक्षाएं

रामनगर के निवासी इस बार उम्मीद कर रहे हैं कि जो भी अध्यक्ष बने, वह विकास के वादों को पूरा करने में सक्षम हो। जनता चाहती है कि उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान हो और रामनगर एक मॉडल शहर के रूप में विकसित हो सके।

 

रामनगर का यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए बल्कि निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। अब देखना यह है कि जनता किसे अपना समर्थन देती है और कौन रामनगर के विकास की कमान संभालता है।