अब थाने से लेकर कप्तान तक तय होगी जांच की जवाबदेही: डीजीपी।

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अब थाने से लेकर कप्तान तक तय होगी जांच की जवाबदेही: डीजीपी।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान सम्पादक

देहरादून, उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ की अध्यक्षता में आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में गढ़वाल एवं कुमाऊं रेंज सहित सभी जनपदों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य में गंभीर अपराधों की विवेचना की गुणवत्ता में सुधार लाना और निष्पक्ष व वैज्ञानिक जांच प्रक्रिया को बढ़ावा देना था।

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डीजीपी सेठ ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि, “विवेचना में पारदर्शिता, समयबद्धता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है। हमें ऐसी प्रणाली विकसित करनी है जो न्यायिक प्रक्रिया को मज़बूती दे और पीड़ित को शीघ्र न्याय सुनिश्चित करे।”

उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि थानों से लेकर कप्तानों तक जांच की गुणवत्ता और जवाबदेही तय की जाए। चार्जशीट, फाइनल रिपोर्ट आदि पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत पर्यवेक्षण अनिवार्य किया गया है।

प्रमुख बिंदु और निर्देश:

  • अपराधों की विवेचना में वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी और इन्वेस्टिगेशन प्लान का समावेश अनिवार्य।

  • 3000 विवेचकों को चरणबद्ध प्रशिक्षण – NDPS, महिला व बाल अपराध, वैज्ञानिक विवेचना और अभियोजन समन्वय जैसे विषयों पर।

  • साप्ताहिक अपराध समीक्षा, सर्कलवार क्राइम मीटिंग और OR के माध्यम से विवेचनात्मक कार्यों की समीक्षा।

  • जांच अधिकारियों के वर्कलोड का आंकलन कर उनकी क्षमता के अनुसार विवेचना सौंपने पर ज़ोर।

  • मुख्यालय निर्देशों की अनदेखी पर थानाध्यक्ष, CO और Addl.SP तक की जवाबदेही तय।

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डीजीपी ने यह भी कहा कि “सीमित जनशक्ति, कानून व्यवस्था की ड्यूटी और आपदा प्रबंधन जैसी चुनौतियों के बावजूद हमें पेशेवर दक्षता और उत्तरदायित्व के साथ कार्य करना होगा। पुलिसिंग में सुधार की स्पष्ट रणनीति और ठोस क्रियान्वयन ही जनता का विश्वास बनाए रख सकता है।”

वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी:

बैठक में डॉ. वी. मुरूगेशन (ADG अपराध), ए.पी. अंशुमान (ADG प्रशासन), नीलेश आनन्द भरणे (IG अपराध), अनंत ताकवाले (IG प्रशिक्षण), राजीव स्वरूप (IG गढ़वाल), धीरेन्द्र गुंज्याल (DIG अपराध), तृप्ति भट्ट (SP GRP) और नवनीत भुल्लर (SSP STF) समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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इस उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक को प्रदेश में जांच प्रक्रिया में गुणात्मक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।