मुख्यमंत्री के सम्मेलन में शामिल न होने से आंदोलनकारियों में आक्रोश, 8 नवंबर के सम्मान समारोह का करेंगे बहिष्कार।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

राज्य स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर रामनगर में आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आमंत्रण के बावजूद शामिल न होने से राज्य आंदोलनकारियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। आंदोलनकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री को आमंत्रित करने के लिए आयुक्त कुमाऊं मंडल, जिलाधिकारी, एसडीएम और मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क कर वार्ता की गई थी, लेकिन अंत तक किसी अधिकारी ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी।
आंदोलनकारियों ने कहा कि “सम्मान स्वाभिमान से बड़ा कुछ नहीं।” इसी क्रम में उन्होंने निर्णय लिया है कि 8 नवंबर को प्रदेशभर में सरकार द्वारा आयोजित राज्य आंदोलनकारियों के सम्मान समारोह में कोई भी आंदोलनकारी भाग नहीं लेगा।
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी “पहाड़ का पानी, पहाड़ की जवानी और पहाड़ की परेशानी” कम नहीं हुई, बल्कि और विकराल हो गई है। जनता को अब राज्य के अस्तित्व और उद्देश्यों की रक्षा के लिए एक बार फिर सड़क पर उतरना होगा।
लखनपुर स्थित पर्वतीय सभा में खड़क सिंह अग्रवाल की अध्यक्षता और पुष्कर दुर्गापाल के संचालन में संपन्न सम्मेलन में प्रभात ध्यानी, हेमंत बगणवाल, भुवन जोशी, चंद्रशेखर जोशी सहित कई आंदोलनकारियों ने कहा कि जिन उम्मीदों के साथ राज्य बनाया गया था, वे आज अधूरी हैं। स्थायी राजधानी, भू-कानून, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पलायन जैसे मूल मुद्दे आज भी उपेक्षित हैं।
राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें:
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राज्य आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के समान सभी सुविधाएँ दी जाएँ।
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राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को 10% शैक्षणिक आरक्षण का लाभ तुरंत लागू किया जाए।
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चिह्नीकरण से वंचित आंदोलनकारियों को आवेदन का पुनः अवसर दिया जाए।
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लंबित आवेदनों का तत्काल निस्तारण किया जाए।
सम्मेलन में प्रभात ध्यानी, चंद्रशेखर जोशी, इंदर सिंह मनराल, मोहनी बंगारी, सुमित्रा विष्ट, गणेश बिष्ट, भुवन तिवारी, डी.डी. सती, योगेश सती, रईस अहमद, नित्यानंद जोशी, पीतांबर तिवारी, तारा दत्त नैनवाल, निर्मला जोशी, मोहम्मद वसीम सहित बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी उपस्थित रहे।

























