म्यांमार साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश — Uttarakhand STF की बड़ी कार्रवाई।

म्यांमार साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश — Uttarakhand STF की बड़ी कार्रवाई।
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म्यांमार साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश — Uttarakhand STF की बड़ी कार्रवाई।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

उत्तराखंड एसटीएफ ने रविवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए उन तीन एजेंटों को गिरफ्तार किया है, जो युवकों को नौकरी का झांसा देकर थाईलैंड के रास्ते म्यांमार ले जाते थे और वहां उन्हें साइबर अपराध में धकेल दिया जाता था। ये गिरफ्तारियां बागेश्वर, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिलों के उन नौ पीड़ित युवकों की पूछताछ के आधार पर हुई हैं, जिन्हें हाल ही में म्यांमार से वापस लाया गया है।


केके पार्क से छूटकर लौटे नौ युवक—दिल्ली से उत्तराखंड लाया गया, परिजनों को सौंपा गया

एसटीएफ के अनुसार, म्यांमार के म्यावाड्डी शहर के कुख्यात केके पार्क में अवैध रूप से रह रहे कई भारतीय युवकों को हाल ही में छुड़ाया गया है। इनमें उत्तराखंड के नौ युवक भी शामिल थे।
दिल्ली पहुंचने के बाद एसटीएफ ने उन्हें प्रदेश लाकर उनके परिवारों के सुपुर्द किया।

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एजेंटों ने संगठित योजना के तहत की ठगी—पीड़ितों से बड़ी रकम ऐंठकर विदेश भेजा गया

पीड़ितों से पूछताछ में सामने आया कि भारतीय एजेंटों ने एक योजनाबद्ध तरीके से युवाओं को फंसाया।

  • टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से युवकों को नौकरी का लालच दिया गया।

  • बड़ी रकम वसूलने के बाद उन्हें थाई वीजा पर बैंकॉक भेजा गया।

  • वहां से अवैध रूप से म्यांमार के म्यावाड्डी के केके पार्क में घुसपैठ कराई गई।

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वहां उनसे जबरन साइबर ठगी और ऑनलाइन अपराध करवाए जाते थे।


तीन आरोपी एजेंट गिरफ्तार—पूरे नेटवर्क की जांच जारी

एसटीएफ की प्रारंभिक जांच में तीन एजेंटों के नाम सामने आए, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है—

  • सुनील कुमार, निवासी जसपुर, उधम सिंह नगर

  • नीरव चौधरी, निवासी काशीपुर, उधम सिंह नगर

  • प्रदीप, निवासी काशीपुर

एसटीएफ के सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा ने बताया कि इन एजेंटों से पूछताछ में कई अहम जानकारियाँ मिली हैं, जिनके आधार पर पूरे नेटवर्क की तलाश जारी है।

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अंतरराष्ट्रीय गिरोह सक्रिय, बड़े खुलासों की उम्मीद

एसटीएफ का कहना है कि यह केवल शुरुआत है।
म्यांमार के केके पार्क में भारतीय युवकों को प्रताड़ित कर साइबर अपराध में लगाया जाना हाल के महीनों में बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। एजेंसी को आशंका है कि उत्तराखंड के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी ऐसे नेटवर्क सक्रिय हैं।

जांच आगे बढ़ने पर और गिरफ्तारियों और बड़े खुलासों की संभावना जताई जा रही है।