अंश निर्धारण के मामले में राजस्व परिषद आवश्यक संसाधन मुहैया कराए अन्यथा लेखपालों के मानसिक शोषण की स्थिति में, हमें प्रदेशव्यापी हड़ताल को मजबूर होना पड़ेगा।* *तारा चन्द्र घिल्डियाल प्रदेश महामंत्री उत्तराखंड लेखपाल संघ*

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*अंश निर्धारण के मामले में राजस्व परिषद आवश्यक संसाधन मुहैया कराए अन्यथा लेखपालों के मानसिक शोषण की स्थिति में, हमें प्रदेशव्यापी हड़ताल को मजबूर होना पड़ेगा।*

——– *तारा चन्द्र घिल्डियाल प्रदेश महामंत्री उत्तराखंड लेखपाल संघ*

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

रामनगर/देहरादून। प्रदेशभर में खतौनियों में अंश निर्धारण को लेकर उत्तराखंड लेखपाल संघ और राजस्व परिषद के बीच टकराव की स्थिति बनती जा रही है। लेखपाल संघ के प्रदेश महामंत्री तारा चन्द्र घिल्डियाल ने राजस्व परिषद को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि बिना पर्याप्त मानव व तकनीकी संसाधनों के अंश निर्धारण का कार्य करना संभव नहीं है।

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घिल्डियाल ने कहा कि मैदानी जनपदों में भूमि की अधिक खरीद-फरोख्त के कारण अधिकांश खतौनी खाते संयुक्त और अत्यंत जटिल हैं। अंश निर्धारण के लिए दशकों पुरानी खतौनियों की आवश्यकता पड़ती है, जो जिला माल अभिलेखागार व तहसीलों के रिकॉर्ड रूम में जीर्ण-शीर्ण, कटी-फटी और कई बार अपठनीय स्थिति में हैं। ऐसी स्थिति में लेखपालों पर समयबद्धता का दबाव बनाना न केवल अनुचित है, बल्कि पुराने अभिलेखों के और अधिक क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा है।

लेखपाल संघ का कहना है कि अंश सिद्ध करने के लिए आवश्यक अभिलेख व साक्ष्य संबंधित खातेदारों द्वारा स्वयं उपलब्ध कराए जाने चाहिए। साथ ही जिन जटिल खातों का निस्तारण लेखपाल स्तर पर संभव नहीं है, उन्हें राजस्व संहिता की धारा 176 के तहत सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी की अदालत में भेजा जाए।

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संघ ने यह भी मांग की है कि अंश निर्धारण में त्रुटि की स्थिति में सम्पूर्ण उत्तरदायित्व लेखपाल पर न डाला जाए, बल्कि सुधार की व्यवस्था कानूनगो, राजस्व निरीक्षक, नायब तहसीलदार और तहसीलदार स्तर पर की जाए। इसके अलावा लैपटॉप, इंटरनेट, प्रिंटर, डाटा एंट्री ऑपरेटर जैसे तकनीकी संसाधन तत्काल उपलब्ध कराने की मांग भी की गई है।

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घिल्डियाल ने आरोप लगाया कि राजस्व परिषद लेखपालों पर मानसिक दबाव बना रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि मांगों का समाधान और संसाधन उपलब्ध न होने की स्थिति में अंश निर्धारण कार्य का पूर्ण बहिष्कार जारी रहेगा और आवश्यकता पड़ी तो प्रदेशव्यापी हड़ताल की जाएगी।

लेखपाल संघ का कहना है कि जनता के हितों को देखते हुए पहले प्रस्तावित प्रदेशव्यापी कार्यबहिष्कार को रोका गया था, लेकिन अब समस्याओं की अनदेखी होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा।