Harela is a significant festival celebrated in the state of Uttarakhand – हरेला त्योहार: उत्तराखंड के प्रकृति का आभूषण, हरेला पर्व उत्तराखंड राज्य में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पर्व है।

Harela is a significant festival celebrated in the state of Uttarakhand
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Harela is a significant festival celebrated in the state of Uttarakhand – हरेला त्योहार: उत्तराखंड के प्रकृति का आभूषण, हरेला पर्व उत्तराखंड राज्य में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पर्व है।

 

 उधम सिंह राठौर – प्रधान सम्पादक

 

Harela is a significant festival celebrated in the state of Uttarakhand – हरेला पर्व उत्तराखंड राज्य में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पर्व है। यह पर्व हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के दूसरे गुरुवार से शुरू होता है और चौथे गुरुवार तक चलता है। इस वर्ष, हरेला पर्व का आयोजन रविवार को हुआ था। हरेला पर्व को प्रकृति के संरक्षण और संवर्द्धन का पर्व माना जाता है। इस अवसर पर प्रदेश में विभिन्न समाजिक संगठनों, संस्थाओं और सरकारी विभागों के माध्यम से वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है। इससे प्रदेश के वातावरण को सुंदर और स्वच्छ बनाने का प्रयास किया जाता है।

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इस वर्ष, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास परिसर में हरेला पर्व के अवसर पर वृक्षारोपण का कार्य किया। उन्होंने आम की पूषा श्रेष्ठ प्रजाति के पौधे को लगाया। इसके अलावा, महिला विधायिका श्रीमती गीता पुष्कर धामी और कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी ने भी वृक्षारोपण का सहयोग किया। इस पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में विभिन्न प्रजातियों के 51 पौधे लगाए गए।

 

 

इस मौके पर अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान, मुख्य वन संरक्षक वन पंचायत डॉ. पराग मधुकर धकाते, मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी, उद्यान प्रभारी दीपक पुरोहित भी उपस्थित थे।

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हरेला उत्तराखंड राज्य में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे बड़े उत्साह और जोश से मनाया जाता है। यह परंपरागत त्योहार मौसम के स्वागत के लिए मनाया जाता है और अच्छी मोसम की प्राप्ति और उपजाऊ फसलों की प्रार्थना की जाती है। “हरेला” शब्द की उत्पत्ति दो कुमाओनी शब्दों से होती है – “हरी” जो “हरियाली” को दर्शाता है और “आवली” जिसका अर्थ “संग्रह” या “लाइनअप” होता है। यह त्योहार बुनियादी रूप से हरियाली और समृद्धि के प्रतीक है।

 

 

हरेला श्रावण मास के पहले दिन मनाया जाता है, जो आम तौर पर जुलाई में पड़ता है। यह त्योहार मानसून के प्रारंभ का संकेत है, और लोग इस विशेष अवसर पर बारिश के आगमन की आशा में खुश होते हैं। त्योहार के जरिए प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने का भी उद्देश्य होता है।

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हरेला के अवसर पर, लोग वृक्षारोपण अभियानों में भाग लेते हैं, जहां विभिन्न फलदार और औषधीय पौधों के पौधे लगाए जाते हैं। त्योहार प्रकृति के हित में योगदान देने के लिए और पेड़-पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका को उभारने के लिए प्रेरित करता है। यह प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सतत भविष्य सुनिश्चित करने में मदद करता है।

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