रोशनी पाण्डेय – सह सम्पादक
गाजियाबाद के नंदग्राम के गांव सिकरोड़ से चार साल पहले 28 सितंबर 2018 को लापता हुए चंद्रवीर की उनकी पत्नी सविता ने देवर अरुण के साथ मिलकर हत्या कर दी थी। अरुण ने अपने घर में छह फुट का गड्ढा खोद शव उसमें दबाकर सीमेंट का फर्श करा दिया था। इस रहस्य से पर्दा कभी नहीं उठ पाता अगर एसएसपी ने पुराने अनसुलझे मामलों की फाइल एक बार फिर से न खुलवाई होती। नए सिरे से हुई जांच-पड़ताल में चंद्रवीर की बेटी ने मां और चाचा पर शक जाहिर किया। इसी सुराग से पुलिस ने खुलासा कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
पड़ोस में रहने वाले अरुण के घर में गड्ढा खोदवाकर चंद्रवीर का कंकाल बरामद किया है। सविता और अरुण ने पुलिस पूछताछ में पूरा घटनाक्रम बताया है। पहले पूरी साजिश रची गई। 18 सितंबर 2018 की रात को कत्ल करना तय हुआ। चंद्रवीर सो रहा था। देर रात अरुण आया। सविता ने दरवाजा खोल दिया। अरुण ने सिर में गोली मारकर चंद्रवीर की हत्या की। सविता पहले से बाल्टी लिए खड़ी थी। सिर से निकला खून बाल्टी में भर लिया ताकि फर्श पर न गिरे। इसके बाद दोनों ने बाहर जाकर देखा कि गोली चलने की आवाज से लोग जाग तो नहीं गए हैं, लेकिन वहां कोई नहीं था। दोनों शव को उठाकर ले गए। इसे अरुण के घर में रखा गया। अरुण ने चार दिन तक गड्ढा खोदा।
शव के पास धूपबत्ती और अगरबत्ती जलाता रहा ताकि बाहर बदबू न जाए। गड्ढा छह फुट गहरा हो जाने पर रात के अंधेरे में सविता के साथ मिलकर शव को उसमें दबा दिया। अरुण ने चार दिन तक गड्ढा खोदा। शव के पास धूपबत्ती और अगरबत्ती जलाता रहा ताकि बाहर बदबू न जाए। गड्ढा छह फुट गहरा हो जाने पर रात के अंधेरे में सविता के साथ मिलकर शव को उसमें दबा दिया। इसलिए, अरुण ने कुल्हाड़ी से कड़े वाला हाथ ही काटकर अलग कर दिया। इसे पास की केमिकल फैक्टरी के पास गड्ढा खोदकर दबा दिया था।
साजिश के तहत अरुण वारदात से पहले मां-बाप को मेरठ स्थित अपने मकान में छोड़ आया था। उसने पूछताछ में बताया कि पहले चंद्रवीर को जहर देकर मारने की साजिश थी, लेकिन इसमें पकड़े जाने का जोखिम ज्यादा था क्योंकि वह तुरंत ही नहीं मरता। इसलिए, गोली मारकर हत्या करना तय हुआ।