खटीमा गोलीकांड के शहीदों को याद कर आंदोलनकारियों ने दोहराई संघर्ष की बात।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

रामनगर। 1 सितंबर 1994 को हुए खटीमा गोलीकांड के शहीदों की याद में रविवार को शहीद पार्क लखनपुर में राज्य आंदोलनकारियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने श्रद्धांजलि दी। इसके बाद लखनपुर स्पोर्ट्स क्लब में गोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें राज्य की मौजूदा हालात पर चर्चा हुई।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने कहा कि राज्य बने 25 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन शहीदों के सपने आज भी अधूरे हैं। जल, जंगल, जमीन को बचाने की लड़ाई अब भी जारी है। आंदोलनकारी सुमित्रा बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड की जनता की हालत पहले से भी बदतर हो गई है, न मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा मिली और न ही अंकिता भंडारी के असली गुनहगार सामने आए।
आंदोलनकारी योगेश सती ने कहा कि जनता को अपनी बेहतरी के लिए फिर से संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा। वहीं कर्मचारी नेता पान सिंह नेगी ने याद दिलाया कि राज्य आंदोलन के दौरान कर्मचारी-शिक्षकों ने तीन महीने की हड़ताल की थी और आज भी वे आंदोलनरत हैं।
सभा में प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि राज्य के हर शैक्षणिक संस्थान में राज्य आंदोलन की जानकारी दी जाए, शहीदों के चित्र और शिलापट्ट स्थापित हों तथा राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ पर राज्य स्तरीय गोष्ठी आयोजित की जाए।
कार्यक्रम के अंत में राज्य आंदोलनकारी कर्मचारी नेता गिरीश चंद्र उप्रेती के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। सभा की अध्यक्षता चंद्रशेखर जोशी और संचालन नवीन नैथानी ने किया। इस दौरान बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी व सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।























