कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ों के अवैध कटान पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ों के अवैध कटान पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट।
ख़बर शेयर करें -

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ों के अवैध कटान पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

नैनीताल।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में साल, सागौन और शीशम जैसे बहुमूल्य वृक्षों के कथित अवैध कटान को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। न्यायालय ने इस मामले में जून के पहले सप्ताह तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. नागेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने रामनगर के पीपलसाना निवासी विमल सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

यह भी पढ़ें 👉  सरकार सो रही है, जनता रो रही है' कांग्रेस का रामनगर में विरोध प्रदर्शन, उपजिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन।

वन विभाग और ठेकेदारों की मिलीभगत का आरोप

याचिका में कहा गया है कि रामनगर के तराई पश्चिमी वन प्रभाग, गुलजारपुर और कोसी नदी किनारे के क्षेत्रों में कॉर्बेट नेशनल पार्क के अधीन आने वाले बहुमूल्य पेड़ बिना अनुमति के अवैध रूप से काटे जा रहे हैं। इस अवैध कटान में वन विभाग के अधिकारियों और लकड़ी ठेकेदारों की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है।

यह भी पढ़ें 👉  बिग ब्रेकिंग न्यूज़ :- अहमदाबाद में भीषण विमान हादसा: लंदन जा रहा एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर टेकऑफ के तुरंत बाद क्रैश, कई यात्रियों के हताहत होने की आशंका।

याचिकाकर्ता ने बताया कि उसका खेत कॉर्बेट पार्क क्षेत्र से सटा हुआ है और बीते कुछ समय से वहां लगातार पेड़ों का कटान हो रहा है, जिसकी ना तो वन प्रभाग से अनुमति ली गई है और ना ही शासन स्तर पर कोई स्वीकृति प्राप्त की गई है। साथ ही विभाग इस कटान का कोई स्पष्ट आधार भी नहीं बता रहा है।

यह भी पढ़ें 👉  कैंची धाम मेला: सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर जिलाधिकारी एवं एसएसपी ने पुलिस बल को किया ब्रीफ, IG ने दी डी-ब्रीफिंग।

हाईकोर्ट ने कहा – देना होगा जवाब

न्यायालय ने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि:

  • क्या उक्त क्षेत्रों में पेड़ों के कटान की अनुमति दी गई थी?

  • यदि नहीं, तो अब तक क्या कार्रवाई की गई?

  • किन अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है?

 

 

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन से रिपोर्ट तलब कर अगली सुनवाई जून के पहले सप्ताह में तय की है।