उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
पौड़ी जिले के धूमाकोट तहसील में एक सनसनीखेज़ घटना सामने आई है। इस गांव में दो सगी बहनों से दुष्कर्म करने का मामला प्रकाश में आया है।राजस्व पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक गांव का ही रहना वाला आरोपी रोशन सिंह पड़ोस के एक घर में दो सगी बहनों को अकेला पाकर उन्हें बहला फुसलाकर एक सुनसान जगह पर ले गया और उनके साथ मुंह काला किया। घर लौटी मासूम बच्ची ने इस मामले की जानकारी अपनी मां को दी, जिसके बाद उनके परिजनों ने राजस्व पुलिस से शिकायत दर्ज कराई। राजस्व पुलिस ने दोनों बहनों का मेडिकल परीक्षण कराया।
राजस्व उपनिरीक्षक ने बताया कि आरोपी के पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। वही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उत्तराखंड की धामी सरकार बहन बेटियां की सुरक्षा में नाकाम साबित हो रही है। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार में मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले दरिंदे लगातार एसी घटनाओं को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी है। बीते कुछ महीनों पहले रुद्रपुर की रेशम कालोनी में एक ऐसी घटना सामने आई थी। यहां 13 वर्षीय नाबालिग किशोरी को अफजल नामक एक युवक ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया, और नाबालिग को फांसी फंदे पर लटका दिया।इस मामले को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीति संगठनों ने ऊधम सिंह नगर पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। वहीं स्थानीय पुलिस ने इस मामले लिपापोती कर हत्या के मामले को आत्माहत्या करार दे दिया था।
इस मामले की शिकायत राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार सहित मुख्य सचिव डॉ एस एस सिदू से की गई। डीजीपी के आदेश पर रुद्रपुर की अपर पुलिस अधीक्षक नगर ममता वोहरा ने इस मामले में पीड़ित परिवार के बयान तो लिए, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वही समाजसेवी सतपाल सिंह ठुकराल ने इस मामले को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में उठाने की बात कही थी। अब सवाल यह है कि कब तक उत्तराखंड में मासूम बच्चियों को दरिंदे अपनी हवस का शिकार बनाते रहेंगे। वही उत्तराखंड पुलिस भी ऐसे संगीन मामलों को हल्के में लेकर अपने कर्तव्य का निर्वाह सही तरह से नहीं करती है। जिसका सीधा उदहारण अलीशा केस है।