उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

रुद्रपुर – उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों को गंभीरता से लेने के लिए हाल ही में एक एप का क्रियान्वयन किया है। लेकिन उनकी यह कोशिश कहा तक सफल होगी, इस पर अभी सवालिया निशान लगें हुए हैं। जिसका मुख्य कारण यह है कि सीएम धामी के गृह जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय में तीन विभाग हमेशा भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं। इसमें सबसे पहले स्थान पर जिला मुख्यालय से स्थित तेहसील कार्यालय आता है। जहां लेखपालों ने कुछ गुर्गों को संरक्षण देकर अपना मुंशी नियुक्त कर रखा है। यह गुर्गे तेहसील में आने वाले आवेदकों से मन चाहे पैसे वसूल कर अपने आकाओं की जेब गर्म करने का काम करते हैं। उसके बाद बचें कुचे पैसों से मौज करते हैं। ऐसा नहीं है कि लेखपालों के इन गुर्गों की इस कारनामे की खबर तेहसील के आला अधिकारियों को नहीं है।
वह भालि भांति जानते हैं कि यह गुर्गे तेहसील में आने वाले फरियादो से वसूली का काम करते हैं। वही यह गुर्गे तेहसील में तैनात लेखपालों की पुरी भूमिका निभाने के लिए स्वतंत्र हैं। लेखपाल प्राप्त आवेदनों की जांच पड़ताल की जिम्मेदारी इन्हें ही सौप देते हैं, क्योंकि ये ही गुर्गे आवेदक से सैटिंग गैटिंग का काम बाखूबी जानते है।अब बात करते हैं जिला मुख्यालय में स्थित सहायक परिवाहन अधिकारी कार्यालय की यहां भी डाइविंग लाइसेंस,वाहन का पंजीकरण कराने आने वाले लोगों को आसपास मंडराते दलाल उनकी जेबों पर खुलेआम डाका डालते देखें जा सकतें हैं।आर टी ओ कार्यलय में आने वाले हर व्यक्ति को यह दलाल लबी चौड़ी कारवाई का झांसा देकर विभाग में होने वाले कार्यों को पैसा के दम पर निपटा देते हैं। विभाग में नियुक्ति अधिकारियों और कर्मचारियों से इनकी साठ गांठ होती है।धन की परिक्रमा के चलते आर टी ओ कार्यलय में बैठे अधिकारी आवेदक से बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। उन्हें सीधे अपने चाहिते दलाल के पास भेज दिया जाता है। जिसके बाद घंटों का काम मिनटों में निपट जाता है।
जरुरत से अधिक धन उगाही करने वाले यह दलाल विभाग में नियुक्ति अधिकारियों को भी चढ़ावा चढ़ाते हैं। जिससे इन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। आपको बता दें कि आर टी ओ कार्यलय में प्राशनिक अधिकारी के रूप में आर टी ओ कार्यलय भी दलालों के चंगुल में है। वही अगर बात करें जिले के सबसे महत्वपूर्ण विभाग की तो इस परिधि में आता है स्वास्थ्य महकमा यहां भी भ्रष्टाचार का दस्तूर लगातार जारी है। स्वास्थ्य महकमे के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिला अस्पताल में भी भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। यहां तैनात चिकित्सक मेडिकल बनाने के नाम पर धन उगाही कर रहे हैं। इसमें उनकी अस्पताल के दलालों से सैटिंग है। वही उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को बाहरी मेडिकलो से दवाएं खरीदने के लिए विवश किया जाता है।जिसका मुख्य कारण यह है अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की बाहर संचालित मेडिकल स्टोर से कमीशन तय है। इसके अलावा सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को भी अस्पताल प्रशासन की मिली भगत से चूना लगाया जाता है।
वही मारपीट के प्रकरणों में स्वास्थ्य परीक्षण करने आने वाले घायलों से मेडिकल बनाने के नाम पर धन की वसूली की जाती है। वही जब इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से की जाती है तो वह साठ गांठ कर इन शिकायतों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं।अब सवाल यह है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह जनपद में ही सरकारी मशीनरी का यह आलम है तो कैसे मुख्यमंत्री पूरे उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बना सकेंगे।अब देखना यह है कि इस मामले का संज्ञान लेने पर सीएम धामी का क्या एक्शन होगा।
