बीस साल पहले बिछड़ा हुआ भाई तो मिल गया, लेकिन मां बाप और भाई को पहचानने से किया इंकार।

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रोशनी पाण्डेय -सह सम्पादक

मुरादाबाद उत्तर प्रदेश के महानगर मुरादाबाद के एक गांव डिडौली में बीस साल से बिछड़े भाई को ढूंढने में एक भाई ने ऐडी से चोटी तक जोर लगा दिया। करीबन तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद भाई ने अपने छोटे भाई को महाराष्ट्र के नागपुर से ढुंढ तो लिया निकाला लेकिन उस समय भाई और माता पिता को बड़ी निराशा हुई जब बीस साल से खोए हुए भाई ने माता पिता और भाई को पहचानने से साफ इंकार कर दिया।यह मामला बीते बीस साल पुराना है।इसी गांव के रहने वाले जागीर सिंह के दो बेटे थे।

 

लेकिन करीब बीस साल पहले छोटा बेटा मजिदर सिंह कही लापता हो गया था। काफी खोजबीन करने के बाद भी उसका कोई पता नहीं चला।इस मामले स्थानीय पुलिस को तहरीर देकर गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस ने उसकी तलाश में काफी हाथ पांव मारें, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। लेकिन मुनिदर के बड़े भाई हरपिंदर ने अपने खोए भाई की तलाश में रात दिन एक कर दिया।तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद हरपिंदर सिंह ने अपने छोटे भाई को महाराष्ट्र के नागपुर से ढुंढ निकाला।लाख मिन्नतों के बाद वह उसे लेकर गांव पहुचा। गांव पहुंचने के बाद उसे पुरानी यादें याद दिलाईगी, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई। उसने परिजनों को पहचानने से साफ इंकार कर दिया।

 

उसने खुद को नागपुर का स्थाई निवासी बताते हुए बताया कि वह जन्म से ही वहां रहता है और उसके माता-पिता बचपन में ही मर चुके हैं। उनके अलावा उसके परिवार में और कोई नहीं है।वह नागपुर युनिवर्सिटी के बाहर कैंटीन चलता है। जिसके बाद उसे थाने लाया गया। पुलिस ने भी उसे समझाया लेकिन उसने एक नहीं सुनी। जिसके बाद वह वापस नागपुर लौट गया। वही परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। भाई की लंबी मेहनत पर पानी फिर गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह बचपन में घर से लापता हो गया। जिससे उसे पुरानी बातें याद नहीं है।जिस समय वह घर से लापता हुआ था उसकी उम्र करीब आठ साल थी।वह लंबे समय से महाराष्ट्र के नागपुर में रहता है। इसलिए उसके दिमाग में पुरानी कोई याद बाकी नहीं है।

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