मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद पाटकोट में नई शराब भट्टी लगाने की तैयारी, ग्रामीणों में उबाल, ठेकेदार और आबकारी विभाग की मिलीभगत का आरोप, आंदोलन की चेतावनी।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
पाटकोट (रामनगर)। उत्तराखंड सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद रामनगर तहसील के पाटकोट क्षेत्र में नई शराब भट्टी खोलने की कोशिशें ग्रामीणों में आक्रोश का कारण बन गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेश में नई शराब भट्टियों पर रोक लगाने की घोषणा के बावजूद, स्थानीय प्रशासन और ठेकेदार की मिलीभगत से इस आदेश की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि शराब भट्टी स्थापित करने के लिए स्थानीय लोगों पर जमीन देने का दबाव बनाया जा रहा है। कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उन्हें मोटी रकम का लालच दिया जा रहा है और विरोध करने पर पुलिस और अधिकारियों द्वारा बदसलूकी की जा रही है। इससे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
गंभीर बात यह है कि इस विवादित गतिविधि के दौरान रामनगर के आबकारी निरीक्षक उमेश पाल भी मौके पर मौजूद पाए गए, जिससे पूरे प्रकरण में प्रशासनिक संलिप्तता की आशंका और गहरी हो गई है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ पुलिसकर्मियों ने असंवैधानिक और अभद्र व्यवहार किया।
मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी
गौरतलब है कि हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशभर में नई शराब भट्टियों की स्थापना पर सख्त रोक लगाने की घोषणा की थी और स्पष्ट किया था कि केवल पहले से संचालित भट्टियाँ ही चलेंगी। बावजूद इसके पाटकोट में नई भट्टी खोलने की तैयारी मुख्यमंत्री के आदेशों की खुली अवहेलना है।
ग्रामीणों की चेतावनी – उग्र आंदोलन होगा
इस पूरे मामले को लेकर पाटकोट सहित आसपास के गांवों में जबरदस्त रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि यह क्षेत्र शांतिप्रिय और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, लेकिन शराब भट्टी लगने से न केवल सामाजिक वातावरण खराब होगा, बल्कि युवाओं का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रक्रिया तुरंत नहीं रोकी गई तो वे सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
जनता का सवाल – प्रशासन किसके पक्ष में खड़ा है?
इस मामले ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि मुख्यमंत्री के आदेशों की गंभीरता को भी कटघरे में ला खड़ा किया है। अब देखना यह है कि शासन इस पर क्या रुख अपनाता है और ग्रामीणों के आक्रोश को कैसे शांत किया जाता है।










