“Protest by Marginalized Youth in Chhattisgarh Demanding Justice Over Fake Caste Certificate Issue in Government Jobs” “छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरी में न्याय की मांग: आंदोलित युवाओं का प्रदर्शन”।
उधम सिंह राठौर – प्रधान सम्पादक
यहां तक कि सरकार ने छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति का गठन किया था, जिसने कुल 758 प्रकरणों में से 659 प्रकरणों की जांच की थी। इस जांच में से 267 प्रकरणों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र मिले थे। यह सबूत प्रदर्शित करता है कि सरकारी नौकरियों में फर्जी प्रमाण पत्र के उपयोग के मामले में आंदोलित युवाओं के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
आंदोलनकारी नेतृत्वकर्ता विनय कौशल ने बताया कि उन्होंने सरकारी अधिकारियों से बात की थी, लेकिन उन्हें ऊपर से दबाव होने की बात कही गई। उन्होंने 16 मई कों आमरण अनशन किया था, जिसके दौरान उनके समर्थन में दिनभर के लिए अनेकों युवा भी उनके साथ थे। अनशन के चलते कुछ आंदोलनकारी युवा बेहाल हो गए थे और उन्हें अस्पताल भर्ती कराना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपने स्वाभिमान से बिना किसी समझौते के न्याय की मांग करने का फैसला किया है। आंदोलनकारी युवा आगामी विधानसभा सत्र में निर्वस्त्र होकर भी सरकार को परेशान करने की कवायद रहेंगे। यहां तक कि उन्होंने दिए गए अनशन को स्थगित करने के बावजूद निर्वस्त्र होकर आगामी विधानसभा सत्र में अपने अधिकारों की मांग को बेहद समर्थन देने का एलान किया है।
इस अंदाज़े में समाचार प्रकाशित होने से पहले आंदोलनकारियों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में सरकार द्वारा लिए गए नायाब फैसलों को संजोया और सरकारी अधिकारियों द्वारा विधायिका सत्र में संशोधन की मांग को भी उठाया है। वे यह कह रहे हैं कि आंदोलन स्थगित हो जाने के बाद सरकार को अपने अधिकारों को समझने और न्याय की मांग पूरी करने का वक्त है।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में आंदोलनकारी युवाओं ने सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के फैसले की खारिजी की जांच की मांग की है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसमें संबंधित अधिकारियों द्वारा निर्णय लेने में लापरवाही दिखी गई थी।
इस संबंध में सरकार द्वारा कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन यह तथ्य है कि आंदोलनकारियों के प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार के कुछ अधिकारी सख्ती से इस मामले की जांच कर रहे हैं। इस विवाद के बीच, आंदोलनकारी युवाओं ने अपने आंदोलन को एकजुटता और धैर्य से आगे बढ़ाते हुए इस विषय में न्याय की मांग को पक्षधर बनाया है।