कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में जंगलों की तबाही! फायर ड्रिल या लापरवाही, संरक्षण के नाम पर वन्यजीवों से खिलवाड़?

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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में जंगलों की तबाही! फायर ड्रिल या लापरवाही, संरक्षण के नाम पर वन्यजीवों से खिलवाड़?

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

रामनगर: उत्तराखंड के जंगलों में आग का खतरा हर साल बढ़ता है, लेकिन इस बार खुद कोर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) में ही जंगल जलाने की तस्वीरें सामने आ रही हैं। ढेला रेंज में फायर ड्रिल के नाम पर बड़े पैमाने पर जंगल जलाए जाने के वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि यह सच में फायर प्रबंधन था या फिर वन संपदा को नष्ट करने की एक और लापरवाही?

आग के नाम पर जंगलों की बर्बादी?

वन विभाग हर साल फायर सीजन से पहले जंगलों में आग को रोकने के लिए फायर लाइन क्लियरिंग करता है। इसके तहत कुछ हिस्सों में सूखी पत्तियां और झाड़ियां जलाकर एक बैरियर बनाया जाता है ताकि प्राकृतिक आग आगे न फैले। लेकिन इस बार ढेला रेंज में आग इतनी तेज़ी से फैली कि पूरा इलाका राख में बदल गया।

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जरूरी सवाल जो वन विभाग से पूछे जाने चाहिए:

  • अगर यह फायर ड्रिल थी, तो इतनी भयावह आग क्यों लगी?
  • क्या आग को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग के कर्मचारी मौजूद थे?
  • अगर आग को फैलने से नहीं रोका गया, तो क्या यह जानबूझकर जंगलों को नुकसान पहुंचाने की साजिश है?

वन विभाग का दावा, लेकिन तस्वीरें कुछ और कहती हैं

कोर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि –
“हम फायर ड्रिल के तहत जंगलों में फायर लाइन क्लियर कर रहे हैं। आग को नियंत्रित करने के लिए हमारे कर्मचारी तैनात हैं और वन्यजीवों को कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।”

लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट और तस्वीरें कुछ और ही कहानी कह रही हैं। धुएं से घिरे जंगल, जलती झाड़ियों और राख में तब्दील होते इलाके यह संकेत दे रहे हैं कि हालात नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं।

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वन्यजीवों पर खतरा! कौन लेगा जिम्मेदारी?

हालांकि, अभी तक इस आग में वन्यजीवों के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह साफ है कि इस तरह की घटनाएं वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को प्रभावित करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस तरह की फायर ड्रिल सही तरीके से नहीं की गई, तो यह जंगलों और उसमें रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है।

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कार्रवाई की मांग

कोर्बेट टाइगर रिजर्व में इस कथित फायर ड्रिल की गहराई से जांच की जानी चाहिए। अगर यह वास्तव में वन प्रबंधन का हिस्सा था, तो इसे सही तरीके से क्यों नहीं किया गया? और अगर यह किसी की लापरवाही थी, तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

क्या कोर्बेट टाइगर रिजर्व अपने जंगलों और वन्यजीवों को बचाने के लिए काम कर रहा है, या फिर जंगलों की तबाही का कारण बन रहा है?

वन मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री संरक्षण के नाम पर वन्यजीवों से खिलवाड़ करने वाले ऐसे अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करता है यह तो आने वाला व्यक्ति बतायेगा।