**KVR हॉस्पिटल: आयुष्मान योजना में लूट का खेल, मरीजों से वसूली, दवाइयों की हेरा-फेरी और सिस्टम की संदिग्ध चुप्पी**
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
काशीपुर।
KVR हॉस्पिटल एक बार फिर गंभीर आरोपों की आग में घिरा है। अस्पताल पर मरीजों की सेहत, अधिकारों और आर्थिक सुरक्षा—तीनों के साथ खुला खिलवाड़ करने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। स्थानीय लोगों और पीड़ितों के अनुसार, हॉस्पिटल में मरीज को भर्ती करते ही आयुष्मान कार्ड तो लगा दिया जाता है, लेकिन इसके बाद शुरू होता है “लूट और हेराफेरी” का खेल।
आयुष्मान कार्ड के बाद भी भारी-भरकम बिल
मरीजों का आरोप है कि आयुष्मान योजना के अंतर्गत इलाज होने के बावजूद दवाइयों, इंजेक्शन, मेडिकल सामग्री और अन्य सुविधाओं के नाम पर भारी-भरकम बिल थमा दिए जाते हैं। जब परिजन इसकी जानकारी मांगते हैं, तो उन्हें स्टाफ द्वारा बदतमीजी और दबंगई झेलनी पड़ती है।
फिल्मी स्टाइल में हेरा-फेरी—दवा मंगाने का नाटक, अंदर छुपाने का खेल
सबसे गंभीर आरोप यह है कि अस्पताल के स्टाफ द्वारा मेडिकल स्टोर से दवाइयां और सामग्री मंगाई जाती हैं, लेकिन उन्हें मरीज को देने के बजाय स्टाफ रूम में छुपा दिया जाता है।
आरोप है कि—
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मेडिकल से दवा मंगाने का नाटक अलग,
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और उसी दवा को बिना इस्तेमाल किए वापस लौटाने का खेल अलग,
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जबकि मरीज को वह दवा कभी दी ही नहीं जाती।
यह पूरा ‘ड्रामा’ आयुष्मान योजना की आड़ में पैसे कमाने और दवाइयों की हेराफेरी करने की गहरी साजिश की ओर इशारा करता है।
पहले भी लगे गंभीर आरोप—कार्रवाई का नाम नहीं
KVR हॉस्पिटल इससे पहले भी कई विवादों में घिरा रहा है—
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एक अग्रवाल परिवार से मारपीट,
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बच्चों के इलाज में खतरनाक लापरवाही,
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और स्टाफ की गुंडागर्दी जैसे मामलों के बावजूद
आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
आयुष्मान टीम की चुप्पी—मिलीभगत के संकेत?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
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आयुष्मान योजना की मॉनिटरिंग टीम निरीक्षण के लिए हॉस्पिटल क्यों नहीं आती?
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मरीजों से की जा रही अवैध वसूली की जांच क्यों नहीं होती?
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शिकायतों के बावजूद विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं होती?
स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि कहीं न कहीं KVR हॉस्पिटल और जिम्मेदार अधिकारियों के बीच गहरी मिलीभगत है, जो पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है।
क्या काशीपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था ढह चुकी है?
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पहले से ही सवालों के घेरे में है। ऐसे में KVR हॉस्पिटल जैसी घटनाएँ साफ दर्शाती हैं कि—
काशीपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था मरीजों के जीवन से ज्यादा पैसों को महत्व दे रही है।

























