गर्जिया जोन की उपेक्षा पर फूटा नेचर गाइडों का गुस्सा, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को भेजा पत्र।

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गर्जिया जोन की उपेक्षा पर फूटा नेचर गाइडों का गुस्सा, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को भेजा पत्र।

उधम सिंह राठौर – प्रधान सम्पादक

(रामनगर)। कॉर्बेट पार्क के गर्जिया जोन (रिंगोड़ा गेट) की उपेक्षा को लेकर अब नेचर गाइडों का आक्रोश खुलकर सामने आ गया है। जिम कॉर्बेट नेचर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष ने उत्तराखंड के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक रंजन मिश्रा को पत्र भेजकर जोन की बदहाली और पार्क प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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एसोसिएशन का कहना है कि पार्क प्रशासन बार-बार आश्वासन देता है, लेकिन न तो संरक्षण के प्रयास दिखते हैं, न ही स्थानीय लोगों के रोजगार की दिशा में कोई ठोस कार्य हुआ है। पिछले वर्ष शासन की मंजूरी के बाद गर्जिया जोन को वर्षभर पर्यटन के लिए खोला गया था, लेकिन तब से अब तक बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

सिलधारी चौकी के पास सड़क की हालत बेहद खराब है, जहाँ हल्की बारिश में भी वाहन फिसलने लगते हैं। गाइडों ने ग्रासलैंड और अन्य रास्तों पर आरबीएम (खोच्चर) डलवाने की मांग की है ताकि पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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एसोसिएशन का आरोप है कि स्वास्थ्य परीक्षण और पर्यावरण दिवस जैसे आयोजनों की सूचना तक नहीं दी जाती, जबकि संस्था पंजीकृत है और संरक्षण कार्यों में हमेशा सक्रिय रही है।

गर्जिया जोन में पेयजल, वाटर हॉल का रखरखाव, स्वागत गेट, गाइडों के लिए हट और पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। मानसून से पहले सफारी मार्गों की मरम्मत की मांग लंबे समय से की जा रही है, जिससे पर्यटन सुरक्षित ढंग से संचालित हो सके।

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नेचर गाइडों ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर गर्जिया जोन की अनदेखी जारी रही, तो टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। एसोसिएशन ने मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से आग्रह किया है कि कॉर्बेट निदेशक को निर्देशित किया जाए कि गर्जिया जोन के विकास को प्राथमिकता दी जाए और एसोसिएशन को हर गतिविधि की जानकारी लिखित रूप में दी जाए।

अब सवाल यह है कि क्या वन विभाग इस चेतावनी को गंभीरता से लेगा, या फिर पर्यावरण संरक्षण महज औपचारिकताओं तक सिमट कर रह जाएगा?