रामनगर में तीन बहनों को न्याय की गुहार, पुलिस पर पक्षपात का आरोप, पुलिस की चुप्पी पर सवाल, न्याय के लिए भटक रही महिलाएं।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
रामनगर, नैनीताल। महिला सुरक्षा और न्याय व्यवस्था को लेकर किए जा रहे सरकारी दावों पर उस समय सवाल उठने लगे, जब रामनगर क्षेत्र की तीन बहनों ने पुलिस प्रशासन पर पक्षपात और लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए। पीड़ित पक्ष का कहना है कि उन्होंने 28 अप्रैल 2025 को रामनगर कोतवाली में तहरीर देकर दूसरे पक्ष द्वारा उन्हें प्रताड़ित किए जाने व ज़मीन पर जबरन कब्जा करने की शिकायत की थी।
बहनों के अनुसार, जब वे कुछ समय के लिए आवश्यक कार्यवश घर से बाहर गईं, तो उनकी अनुपस्थिति में दूसरे पक्ष ने उनके नाबालिग बच्चों को जबरन घर से निकाल दिया और उनके घर का ताला तोड़कर कब्जा कर लिया। आरोप है कि पुलिस को इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई और अब आरोपित पक्ष ने खुद का ताला लगाकर संपत्ति पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है।
पीड़ित महिलाओं ने बताया कि वे अपने बच्चों सहित कोतवाली पहुंचीं, परंतु वहां उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस कर्मियों का रवैया असंवेदनशील और पक्षपातपूर्ण दिखाई दिया। पीड़ित पक्ष का सवाल है —
“जब हमने समय पर तहरीर दी थी, तो पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या पुलिस किसी दबाव में काम कर रही है?”
इस पूरे प्रकरण ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित बहनों ने अब वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और प्रदेश के मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने को विवश होंगी।
उन्होंने सरकार से पूछा है —
“जब प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री मंचों से नारी सशक्तिकरण और सुरक्षा की बात करते हैं, तो फिर ज़मीनी स्तर पर महिलाओं की सुनवाई क्यों नहीं होती?”
अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री इस मामले का क्या संज्ञान लेते हैं और क्या दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं — यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

